वाशिंगटन: एक तरफ बढ़ रहा कोरोना का कहर अब इतना बढ़ चुका है. कि हर तरफ केवल तवाही का मंज़र देखने को मिल रहा है. जंहा अब तक इस वायरस से मरने वालों कि संख्या 108000 से अधिक हो चुकी है. वहीं अभी भी लोगों में इस वायरस का खौफ फैला हुआ है. वहीं इस बीमारी से लड़ने के लिए अब भी डॉक्टर इलाज़ खोज रहे है. वहीं इस बीमारी से खुद और लोगों को बचाने के लिए महिलाओं ने एक नई प्रक्रिया शुरू कर दी है. वहीं भारत ने मलेरिया के इलाज में काम आने वाली हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन की खेप अमेरिका को भेज दी है. अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू के अनुसार नेवार्क हवाई अड्डे पर शनिवार को यह खेप पहुंची. कोरोना वायरस से निपटने के लिए हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन को का फी उपयोगी माना जा रहा है.
उन्होंने एक ट्वीट में कहा, 'कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई में हमारे सहयोगियों का समर्थन के तहत भारत से हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन की खेप आज नेवार्क हवाई अड्डे पर पहुंची.'इस हफ्ते की शुरुआत में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अनुरोध पर भारत ने अमेरिका में हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन की 35.82 लाख गोलियों के निर्यात को मंजूरी दी थी. इसके साथ-साथ ही दवा के निर्माण में इस्तेमाल की जाने वाली एपीआई भी भेजी. अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन ने कोविड-19 के संभावित उपचार के लिए हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन की पहचान की है. इसे न्यूयॉर्क में 1,500 से अधिक कोरोनो वायरस रोगियों पर परीक्षण किया जा रहा है.
जानकारी के लिए हम बता दें कि इस हफ्ते की शुरुआत में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत को मलेरिया रोधी दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन के निर्यात के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया था. अपने ट्वीट में अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, असाधारण वक्त में दोस्तों के बीच करीबी सहयोग की आवश्यकता होती है. हाइड्रोक्सी क्लोरोक्विन पर फैसले के लिए भारत और भारतीय लोगों का शुक्रिया. इसे भुलाया नहीं जाएगा. इस लड़ाई में न केवल भारत, बल्कि मानवता की मदद करने के लिए आपके मजबूत नेतृत्व के लिए पीएम मोदी आपको बधाई.
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