यहां पढ़े 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' की सच्ची और अनोखी कहानी

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ऑपरेशन ब्लू स्टार 3 से 8 जून 1984 के मध्य पंजाब के अमृतसर में चला था. यह आपरेशन स्वर्ण मंदिर में भारतीय सेना ने कथित आतंकी जरनैल सिंह भिंडरांवाले और उसके साथियों के विरूध्द चलाया था. वास्तविकता में, उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अमृत​सर स्थित हरमंदिर साहिब परिसर पर पूरा काबू चाहती थीं, जहां 1980 से ही भिंडरांवाले ने अपना हेडक्वार्टर बना लिया था.

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बता दे कि भिंडरांवाले के कंट्रोल से हरमिंदर साहिब परिसर को छुड़ाने के लिए गांधी ने पहले सेना के लेफ्टिनेंट जनरल एसके सिन्हा से स्वर्ण मंदिर को खाली कराने के बारे में मंत्रणा की थी. किन्तु सिन्हा ने गांधी को राय दी कि सिखों के धार्मिक स्थान पर हिंसा करना अच्छा नहीं होगा. तब, गांधी ने तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल अरुण श्रीधर वैद्य को इस कार्य की कमान सौंपी. ले.ज. सुंदरजी के साथ मिलकर वैद्य ने ऑपरेशन ब्लू स्टार की प्लान बनाया और उसे अंजाम देने का काम किया गया. 

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इसके अलावा सिखों के लोकप्रिय और प्रसिद्ध मंदिर यानी गोल्डन टेंपल के भीतर पांच-छह दिनों तक गोलीबारी का दौर जारी रहा. इस मुकाबले में अंतह आखिरकार भिंडरांवाले की मृत्यु हुई. उसके कई साथियों को टेंपल से ज़िंदा भी पकड़ा गया और ऑपरेशन कामयाब हुआ. इस जीत का सेहरा वैद्य के सिर बंधा, लेकिन इसकी कीमत चुकानी बाकी थी. भिंडरांवाले के सपोर्ट करने वालों के निशाने पर राजनीति और सेना के जो लोग थे, उनमें वैद्य का नाम भी सम्मिलित था. वैद्य को जान के खतरे की शंका भी थी.

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