'बीमार' पड़े संभल का सर्वे करने वाले कोर्ट कमिश्नर, आज भी पेश नहीं होगी रिपोर्ट

'बीमार' पड़े संभल का सर्वे करने वाले कोर्ट कमिश्नर, आज भी पेश नहीं होगी रिपोर्ट
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संभल: उत्तर प्रदेश के संभल की शाही जामा मस्जिद से जुड़े मामले में कोर्ट में आज सर्वे रिपोर्ट पेश होने को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। मुख्य वजह यह है कि कोर्ट कमिश्नर रमेश सिंह राघव की तबीयत खराब बताई जा रही है। उनकी स्वास्थ्य समस्याओं के चलते सर्वे रिपोर्ट अभी तक तैयार नहीं हो पाई है और कोर्ट में पेश नहीं की जा सकी है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्पष्ट निर्देश दिया था कि सर्वे रिपोर्ट को सीलबंद लिफाफे में कोर्ट में प्रस्तुत किया जाए। 

इससे पहले सिविल कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट कमिश्नर ने सर्वे रिपोर्ट पेश करने के लिए 10 दिन का अतिरिक्त समय मांगा था। कोर्ट ने यह समयावधि स्वीकार करते हुए उन्हें 9 दिसंबर तक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया था। हालांकि, आज की स्थिति को देखते हुए यह स्पष्ट नहीं है कि रिपोर्ट पेश हो पाएगी या नहीं।  

जामा मस्जिद का सर्वेक्षण दो चरणों में किया गया था, जिसमें मस्जिद की फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी शामिल थी। कोर्ट कमिश्नर ने कहा है कि रिपोर्ट के साथ-साथ सभी फोटो और वीडियो कोर्ट में जमा किए जाएंगे। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि रिपोर्ट आज दाखिल होना अनिवार्य नहीं है क्योंकि रिपोर्ट तैयार करने का कार्य अभी पूरा नहीं हुआ है। उनके स्वास्थ्य को लेकर भी प्रश्नचिन्ह बना हुआ है। आज होने वाली सुनवाई में कोर्ट द्वारा संबंधित अधिकारियों के बयान दर्ज किए जाने की संभावना है। इससे पहले, 3 दिसंबर को सुनवाई के दौरान सीएमओ, सीओ संभल, एसडीएम संभल, और कोतवाल को अपने बयान देने के लिए कलक्ट्रेट में बुलाया गया था। इसी सुनवाई में 9 दिसंबर की तारीख तय की गई थी। 

जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान 24 नवंबर को हिंसा भड़क गई थी, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई थी। मुस्लिम उपद्रवियों ने आगजनी और पथराव किया था, जिससे कई पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। पुलिस ने अब तक 20 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है और 500 से अधिक लोगों की पहचान सीसीटीवी फुटेज के आधार पर की जा चुकी है। यूपी सरकार ने हिंसा में हुए नुकसान की भरपाई उपद्रवियों से कराने और दंगाईयों के पोस्टर चौराहों पर लगाने का निर्णय लिया है।

इस पूरे प्रकरण में कुछ गंभीर सवाल उठते हैं। कोर्ट कमिश्नर की बीमारी का दावा कितना सही है, या कहीं इसके पीछे कोई दबाव तो नहीं? यह आशंका इसलिए भी प्रबल होती है क्योंकि सर्वे के दौरान मुस्लिम समुदाय की भीड़ ने पुलिस पर जानलेवा हमला किया था। क्या संभव है कि कोर्ट कमिश्नर को भी धमकी दी गई हो? ऐसे में उनकी सुरक्षा और निष्पक्षता पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इस मामले में जल्द रिपोर्ट पेश करने और निष्पक्ष जांच की उम्मीद की जा रही है ताकि हिंसा और दबाव के पीछे के सच को उजागर किया जा सके।

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