हमारे देश में चूहा मारने की दवा आम तौर पर मिलती है. लेकिन इसी देश में अब चूहा मारने का ना सिर्फ मुकदमा भी दर्ज किया जा चुका है, बल्कि एक इंसान को हिरासत में ले लिया गया है. फिर उसी चूहे का पोस्टमॉर्टम भी किया गया और अदालत में 30 पन्नों की चार्जशीट भी दाखिल कर दी गई. हालांकि मुकदमा अब तक शुरू नहीं हो पाया है. लेकिन अभी से इस मुकदमे पर देश की निगाहें लगी हुई हैं. बात 24 नवंबर 2022 की है. उत्तर प्रदेश के बदायूं इलाके में एक शख्स चूहेदानी से एक जिंदा चूहा निकल जाता है. जिसके उपरांत उस चूहे की पूंछ को प्लास्टिक की डोरी से एक वजनी पत्थर के साथ बांध कर नाले में डुबोता-निकालता रहता है. इत्तेफाक से जब वो ऐसा कर रहा था. तभी वहां से क्षेत्र के पशु प्रेमी वीकेंद्र शर्मा गुजर रहे थे. चूहे के साथ इस क्रूरता को देखकर उन्होंने उस शख्स को रोकने का प्रयास की फिर बड़ी मुश्किल से उसके चंगुल से चूहे को छुड़ाया लेकिन अफसोस तब तक चूहे की जान चली गई.
इस क्रूरता को लेकर वीकेंद्र ने जब उस शख्स से बात करने का सोचा तो वो बिफर पड़ा. उसने बोला है हम पहले भी ऐसा करते रहे हैं और आगे भी करेंगे. ये सुनकर वीकेंद्र शर्मा उस मुर्दा चूहे को उठाकर सीधे बदायूं के कोतवाली थाने चले गए. वीकेंद्र ने पुलिसवालों से मुर्दा चूहे के साथ हुई क्रूरता के विरुद्ध मुकदमा दर्ज करने को कहा. ये सुनते ही थाने में मौजूद पुलिस वाले हंस पड़े, पर वीकेंद्र अड़ा था. बाद में पुलिसवालों को गुस्सा भी आया. उन्होंने यहां तक बोला कि क्या अब पुलिसवालों को चूहे की मौत का मुकदमा भी दर्ज करना पड़ जाएगा.
वीकेंद्र को पुलिसवालों से तकरीबन 3 घंटे तक बहस करनी पड़ी. थाने में मौजूद पुलिसवालों को समझ में नहीं आ रहा था कि वो क्या करें. फिर उनमें से किसी ने अपने आला अधिकारी को फोन किया और पूरी बात बताई. तब कहीं जाकर 24 नवंबर की शाम को ही चूहे की मौत को लेकर कोतवाली पुलिस ने FIR भी दर्ज कर दी है. FIR दर्ज होते ही अब वीकेंद्र चूहे का पोस्टमॉर्टम कराने की बात पर अड़ पड़ा है. पुलिसवाले फिर चकराए. मगर वीकेंद्र अपनी बात पर डटा रहा. आखिर थक हार कर 24 नवंबर की देर शाम को कोतवाली पुलिस का एक कांस्टेबल वीकेंद्र के साथ मुर्दा चूहे को लेकर बदायूं के पशु चिकित्सालय पहुंचा दिया है. लेकिन अब तो चौकाने की बारी हॉस्पिटल में मौजूद डॉक्टरों की थी. जब उन्हें पूरी कहानी बताई गई. तो पहले तो उन्होंने यही कहकर टालना चाहा कि हमारे अस्पताल में रात को पोस्टमॉर्टम नहीं होता.
इस पर वीकेंद्र ने दलील दी कि अगले दिन सुबह पोस्टमॉर्टम कर दें और तब तक मुर्दा चूहे को अपनी कस्टडी में ली है. ये सुनते ही अब पशु चिकित्सालय के डॉक्टर ने दूसरी स्टोरी दी है. डॉक्टर ने बोला है कि एक तो हमारे इस अस्पताल में कभी चूहे का पोस्टमॉर्टम नहीं हुआ. दूसरा हम डॉक्टरों को चूहे के बारे में नहीं पढ़ाया गया. लिहाजा आप चूहे की लाश बरेली के IVRI पशु चिकित्सालय ले कर जाएं.
अब चूंकि केस दूसरे ज्यूरिडिक्शन का था. लिहाजा वीकेंद्र ने डॉक्टर से रेफर लेटर देने को बोला है. डॉक्टर ने रेफर लेटर दे दिया. अब दिक्कत ये थी कि रात हो चुकी थी. पोस्टमॉर्टम अगले दिन ही होनी थी. तो इस पूरी रात में चूहे की लाश को कहां और कैसे रख सकते है? बदायूं पशु चिकित्सालय ने लाश लेने से इंकार कर दिया है. पुलिस को एक चूहे की लाश माल खाने में रखने का कोई तजुर्बा ही नहीं था. उधर वीकेंद्र को डर था कि केस की लीपापोती के लिए पुलिसवाले चूहे की लाश को कहीं फेंक सकते हैं या फिर बिल्ली के आगे डाल देते है.
इसी पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के उपरांत बदायूं कोतवाली पुलिस ने आरोपी मनोज कुमार के विरुद्ध पशु क्रूरता निवारण अधिनियम और IPC की धारा 429 के तहत मुकदमा भी दर्ज कर दिया गया है. मनोज कुमार को हिरासत में ले लिया गया. लेकिन गिरफ्तारी के साथ ही थाने से ही जमानत भी दे दी गई.
वारदात के 5 दिन के उपरांत मनोज खुद ही बदायूं के जिला कोर्ट पहुंचा. सरेंडर करने. कोर्ट ने उसी वक्त उसे अग्रिम जमानत पर छोड़ दिया. जिसके उपरांत जनवरी 2023 में बदायूं की कोतवाली पुलिस ने चूहे के कत्ल के सिलसिले में 30 पन्नो की चार्जशीट तैयार कर दी. जिसमे मुख्य आरोपी मनोज कुमार को बना दिया गया.
जिन धाराओं के तहत चार्जशीट दर्ज की गई है अगर वो सारे इल्जाम अदालत में साबित हो चुके है तो मनोज को पशु क्रूरता अधिनियम के अंतर्गत 10 रुपये से लेकर 2 हजार रुपये तक का जुर्माना और 3 वर्ष की सज़ा या आईपीसी की धारा 429 के तहत 5 वर्ष की सजा और जुर्माना दोनों हो सकता है. हालांकि चार्जशीट दाखिल हुए तीन महीने हो चुके हैं. मगर अभी तक ट्रायल शुरू नहीं हो पाया है. जबकि दूसरी तरफ तमाम लोगों की निगाहें इस मुकदमे और मुकदमें के फैसले पर ही टिकी हुई है. क्योंकि एक चूहे के कत्ल का देश में ये पहला मुकदमा है, तो फैसले का इंतजार कीजिए.
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