नारायणपुर : हमने आज तक बोरवेल में गिरे बच्चे या संकट में फंसे किसी इंसान को बचाने के लिए बड़े रेस्क्यू ऑपरेशन देखे हैं। लेकिन यह घटना एकदम बिल्कुल ही अलग है। दरअसल बस्तर संभाग के नारायणपुर जिले में एक बेसहारा कुत्ते को बचाने के लिए पूरा शहर उमड़ पड़ा। क्या आम और क्या खास। क्या जनता और क्या प्रशासन। सात दिनों तक कोई भी चैन से नहीं बैठा। अंतत: कुत्ते को संकट से मुक्ति दिला दी गई।
यह था पूरा मामला
एक दिसंबर की शाम जब नायब तहसीलदार अपने सरकारी आवास की ओर बढ़ रहे थे। तभी उन्होंने देखा कि एक कुत्ता सड़क पार कर रहा है, जिसका पूरा सिर प्लास्टिक के जार में कैद है। कुत्ता अपनी गर्दन को बार-बार झटकते हुए सड़क पारकर जिला अस्पताल परिसर में जाकर बैठ गया। उस समय लोग उसे देखकर हंस रहे थे, लेकिन तहसीलदार समझ रहे थे कि कुत्ता धीरे-धीरे मौत की ओर बढ़ रहा है क्योंकि न तो वह कुछ खा-पी सकता था और न ही खुलकर सांस ले सकता था। हुआ यूं होगा कि कुछ खाने-पीने के लालच में इस बेसहारा कुत्ते ने अपना मुंह प्लास्टिक के जार में डाला होगा, लेकिन जार ऐसा फंसा कि फिर लाख जतन के बाद भी नहीं निकला।
कैसे मिली मुक्ति
सात दिसंबर को कुछ लोगों ने कुत्ते को सरकारी कॉलोनी के पास बने एक टैंक के निकट बैठा पाया। चारों ओर से घेराबंदी कर दी गई। तब रेंजर पशु चिकित्सक को साथ लेकर नायब तहसीलदार की टीम कुत्ते की तरफ बढ़ी। अंतत: कोशिश कामयाब हुई और कुत्ते को दमघोंटू जार से मुक्ति दिला दी गई। तहसीलदार बताते हैं, हम सभी ने साफ महसूस किया कि जार से मुक्त हो कुत्ते ने चैन की लंबी सांस ली।
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