बीजिंग: चीन भले ही सस्ते कर्ज के झांसे में फंसाकर विभिन्न छोटे देशों को काबू करने की नीति पर कार्य कर रहा है लेकिन, एक हकीकत ये भी है कि उसका अपना घर बहुत ही ज्यादा खराब हालत में है। चीन की अर्थव्यवस्था कोविड महामारी के उपरांत से उबर नहीं पाई है। इतना ही नहीं चीन में प्रापर्टी की मूल्यों में आई जबरदस्त गिरावट वहां की खराब आर्थिक हालत का संकेत भी दे रही है। चीन में बीते कुछ वक़्त में महंगाई के अलावा बेरोजगारी भी बढ़ी है और प्रतिव्यक्ति आय कम हुई है। जिसकों देखते हुए चीन ने ब्याज दरों में कटौती भी की गई है।
चीन की जीरो कोविड पालिसी: खबरों की माने तो चीन पर न सिर्फ कोरोना महामारी का प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है बल्कि रूस और यूक्रेन युद्ध से भी वो बहुत प्रभावित हुआ है। अन्य देशों की तुलना में चीन पर इनका प्रभाव अधिक हुआ है। जानकारों की राय में चीन कोविड महामारी को लेकर बनाई चीन की नीति अब उस पर उलटी साबित हो रही है। दरअसल चीन ने कोविड से बचाव को जीरो कोविड पालिसी भी शुरू कर दी गई है। इस पालिसी की बदौलत देश में कारोबार के साथ साथ उपभोक्ता गतिविधियां बहुत हद तक प्रभावित हुई हैं।
काम धंधे हुए ठप: जीरो कोविड नीति के कारण से कई जगहों का काम ठप होने के कारण से बहुत पिछड़ चुका है। जिसकी बदौलत न सिर्फ काम धंधे ठप हुए हैं बल्कि कई छोटी इकाइयां बंद भी हो चुकी है। चीन की इस नीति से देश के लोग भी ऊब चुके हैं और इसकी निंदा भी कर रहे है। इस नीति में कोविड का कोई भी केस सामने आने परर लाकडाउन लगाने का प्रावधान है। इस नीति की वजह से कई छोटी फैक्टरियां बहुत वक़्त तक बंद रही हैं। इसका असर लोगों की आमदनी और रोजगार पर भी पड़ा है और जिसकी कारण से देश की सप्लाई चेन बुरी तरह से प्रभावित हुई है। इन सभी के बावजूद चीन के अर्थशास्त्री मान रहे हैं कि चीन अपने को इससे उबार लेने वाला है । वहीं इन जानकारों का ये भी कहना है कि यदि चीन मंदी से घिरा तो इसका असर पूरी दुनिया में दिखाई देगा।
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