'केंद्र सरकार की नीतियों के कारण खेती का पूरा अर्थशास्त्र संकट में है', प्याज किसानों के समर्थन में आए शरद पवार

'केंद्र सरकार की नीतियों के कारण खेती का पूरा अर्थशास्त्र संकट में है', प्याज किसानों के समर्थन में आए शरद पवार
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नासिक: NCP प्रमुख शरद पवार प्याज किसानों के मुद्दे पर सरकार से नाराज हैं. इसको लेकर उन्होंने शिंदे सरकार को सड़क पर उतरने की चेतावनी भी दी है. NCP प्रमुख शरद पवार ने 11 दिसंबर को  नासिक जिले के चंदवाड़ में प्याज किसानों से मुलाकात की. इस के चलते प्याज निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसले के विरोध में रैली निकाली. शरद पवार ने चंदवाड़ में 'रास्ता रोको' रैली में भाग लिया तथा बाद में समीप के राजमार्ग पर एक रैली को संबोधित किया. 

नासिक उन प्रमुख जिलों में से एक है, जहां बड़ी मात्रा में प्याज का उत्पादन होता है. भारत के कुल उत्पादन के मुकाबले में प्याज का 37 प्रतिशत से ज्यादा उत्पादन महाराष्ट्र में होता है तथा इसका 10 फीसदी अकेले नासिक जिले में उत्पादन होता है. चंदवाड़ में 'रास्ता रोको' रैली में शरद पवार ने कहा कि किसान बहुत मेहनत करके पैसा कमाते हैं, मगर नीतियां बनाने वाले लोग उनकी मेहनत का सम्मान नहीं कर रहे हैं. शरद पवार ने कहा, कई कारोबारियों ने विदेशों में निर्यात करने के लिए प्याज खरीदी है मगर अब वे भी संकट में हैं. आगे शरद पवार कहा कि अब वह वक़्त आ गया है जब किसानों को प्याज बेचकर कुछ पैसे प्राप्त होंगे. केंद्र सरकार की नीतियों कि वजह से खेती का पूरा अर्थशास्त्र संकट में है. केवल प्याज किसान ही तकलीफ में नहीं बल्कि पूरा गन्ना उद्योग भी चौपट होने के कगार पर है. केंद्र सरकार ने चीनी उद्योग से इथेनॉल का उत्पादन न करने को बोला है. 

चीनी एवं इथेनॉल की वजह से किसानों को उनके गन्ने का उचित मूल्य प्राप्त हो रहा था, मगर इथेनॉल उत्पादन पर प्रतिबंध लगाना सरकार द्वारा उठाया गया एक विनाशकारी कदम है. शरद पवार ने बताया, सरकार की नीतियां किसान विरोधी हैं. 2 हफ़्तों से पहले बेमौसम बारिश से फसल खराब हुई थी. अंगूर और अन्य फसलों को बड़ा नुकसान हुआ था. उस समय राज्य सरकार ने किसानों को सहायता करने का आश्वासन दिया था. इसको लेकर अभी तक कोई फैसला नहीं हुआ. बीमा कंपनियां भी किसानों को उनका बकाया दिलाने में सहायता नहीं कर रही हैं. शरद पवार ने आरोप लगाया कि अंगूर की अर्थव्यवस्था भी संकट में है क्योंकि बांग्लादेश जैसा देश प्रति किलोग्राम 160 रुपये का शुल्क लगा रहा है तथा इस मुद्दे को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार पर्याप्त कदम नहीं उठा रही है. हमारे विरोध के ऐलान के पश्चात् अब सरकार इस मुद्दे को सुलझाने के लिए दिल्ली में कुछ बैठकें कर रही है.

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