नई दिल्ली: 6 जनवरी 2024 की शाम तकरीबन 4 बजे के आसपास इसरो का Aditya अपने L1 प्वाइंट पर पहुंचने वाला है. कुछ दिनों पहले ISRO चीफ S. Somanath ने कहा था कि 6 जनवरी को ये काम होने वाला है. लेकिन उन्होंने जिसके लिए कोई समय नहीं बताया था. इसरो चीफ ने बोला था कि समय तो नहीं बता सकते, लेकिन 6 को L1 प्वाइंट पर आदित्य पहुंच जाएगा. ISRO ने सूरज की स्टडी के लिए Aditya सोलर ऑब्जरवेटरी को भेजा था. यह तीन दिन बाद 6 जनवरी 2024 को L1 प्वाइंट पर पहुंच जाएगा. सोमनाथ ने इस बारें में बोला है कि 6 को आदित्य को एल-1 प्वाइंट में इंसर्ट करने वाले है. आदित्य-एल1 मिशन की सफलता का पहला सबूत मिला कुछ दिन पहले ही मिला था.
ISRO के लिए क्यों खास रहेगा 1 जनवरी 2024?: खबरों का खबरों का कहना है कि इस सैटेलाइट के सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलिस्कोप (SUIT) ने सूरज की पहली बार फुल डिस्क फोटोज भी ले ली थी. ये सभी फोटोज 200 से 400 नैनोमीटर वेवलेंथ की थी. यानी आपको सूरज 11 अलग-अलग रंगों में दिखाई देने वाला है. इस पेलोड को 20 नवंबर 2023 को ऑन किया गया था. इस टेलिस्कोप ने सूरज के फोटोस्फेयर और क्रोमोस्फेयर की फोटोज ली हैं.
क्या है फोटोस्फेयर और क्रोमोस्फेयर?: बता दें कि फोटोस्फेयर मतलब सूरज की सतह और क्रोमोस्फेयर यानी सूरज के तल और बाहरी वायुमंडल कोर के मध्यच मौजूद पतली परत. क्रोमोस्फेयर सूरज की सतह से 2000 km ऊपर तक होती है. जिसके पूर्व सूरज की तस्वीर 6 दिसंबर 2023 को ली गई थी. लेकिन वह पहली लाइट साइंस फोटो थी. लेकिन इस बार फुल डिस्क फोटोज ली गई है. यानी सूरज का जो हिस्सा पूरी तरह से सामने है, उसकी तावसरीर. इन तस्वीरों की मदद से वैज्ञानिक सूरज की स्टडी ढंग से कर सकते हैं.
क्या है लैरेंज प्वाइंट?: लैरेंज प्वाइंट (Lagrange Point). यानी L. यह नाम गणितज्ञ जोसेफी-लुई लैरेंज के नाम के अनुसार रखा गया है. इन्होंने ही इन लैरेंज प्वाइंट्स को खोजा था. जब किसी दो घूमते हुए अंतरिक्षीय वस्तुओं के मध्य ग्रैविटी का एक ऐसा प्वाइंट भी है, जहां पर कोई भी वस्तु या सैटेलाइट दोनों ग्रहों या तारों की गुरुत्वाकर्षण का भी कोई असर नहीं पड़ता है.
अब तक मिली जानकारी के अनुसार आदित्य-L1 के मामले में यह धरती और सूरज दोनों की गुरुत्वाकर्षण शक्ति से बचा रहने वाला है. लॉन्च के बाद आदित्य 16 दिनों तक धरती के चारों तरफ चक्कर लेकर आने वाला है. इस दौरान 5 बार ऑर्बिट बदला जाने वाला है. ताकि सही गति मिले. फिर आदित्य का ट्रांस-लैरेंजियन 1 इंसर्शन हो सकता है. यहां से शुरू होगी 109 दिन की लंबी यात्रा. जैसे ही आदित्य-L1 पर पहुंच जाएगा, वह वहां पर एक ऑर्बिट मैन्यूवर करेगा. ताकि L1 प्वाइंट के चारों तरफ चक्कर लगा सके.
आदित्य-L1 क्या है?: बता दें कि Aditya-L1 भारत की पहली अंतरिक्ष आधारित ऑब्जरवेटरी (Space Based Observatory) है. यह सूरज से इतनी दूर तैनात किया जाने वाला है कि उसे गर्मी तो लगे लेकिन खराब न हो पाए. क्योंकि सूरज की सतह से थोड़ा ऊपर यानी फोटोस्फेयर का तापमान तकरीबन 5500 डिग्री सेल्सियस रहता है. इतना ही नहीं केंद्र का तापमान 1.50 करोड़ डिग्री सेल्सियस रहता है. ऐसे में किसी यान या स्पेसक्राफ्ट का वहां जाना संभव नहीं बताया जा रहा है.
क्या करेगा आदित्य-L1 स्पेस्क्राफ्ट?
- सौर तूफानों के आने की वजह, सौर लहरों और उनका धरती के वायुमंडल पर क्या असर होता है.
- आदित्य सूरज के कोरोना से निकलने वाली गर्मी और गर्म हवाओं की स्टडी करेगा.
- सौर हवाओं के विभाजन और तापमान की स्टडी करेगा.
- सौर वायुमंडल को समझने का प्रयास करेगा.
सूरज की स्टडी क्यों... क्यों जरूरी है ये मिशन?
- सूरज हमारा तारा है. उससे ही हमारे सौर मंडल को ऊर्जा यानी एनर्जी हासिल होती है.
- इसकी उम्र तकरीबन 450 करोड़ वर्ष कही जाती है. बिना सौर ऊर्जा के धरती पर जीवन संभव नहीं है.
- सूरज की ग्रैविटी की वजह से ही इस सौर मंडल में सभी ग्रह टिके हैं.
- सूरज का केंद्र यानी कोर में न्यूक्लियर फ्यूजन भी देखने के लिए मिलता है. इसलिए सूरज चारों तरफ आग उगलता हुआ दिखता है.
- सूरज की स्टडी इसलिए ताकि उसकी बदौलत सौर मंडल के बाकी ग्रहों की समझ भी बढ़ सके.
- सूरज की वजह से लगातार धरती पर रेडिएशन, गर्मी, मैग्नेटिक फील्ड और चार्ज्ड पार्टिकल्स का बहाव आता है. इसी बहाव को सौर हवा या सोलर विंड कहते हैं. ये उच्च ऊर्जा वाली प्रोटोन्स से बने होते हैं.
- सोलर मैग्नेटिक फील्ड का पता चलता है. जो कि बेहद विस्फोटक होता है.
- कोरोनल मास इजेक्शन (CME) वजह से आने वाले सौर तूफान से धरती को कई तरह के नुकसान की आशंका रहती है. इसलिए अंतरिक्ष के मौसम को जानना जरूरी है. यह मौसम सूरज की वजह से बनता और बिगड़ता है.
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