कांग्रेस को 'चुनावी लाभ' दिलाने के लिए था किसान आंदोलन! किसान नेता चढूनी का कबूलनामा

कांग्रेस को 'चुनावी लाभ' दिलाने के लिए था किसान आंदोलन! किसान नेता चढूनी का कबूलनामा
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चंडीगढ़: हरियाणा विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस की स्थिति पर चर्चा तेज है, खासकर भारतीय किसान यूनियन (चढ़ूनी) के प्रधान गुरनाम सिंह चढ़ूनी के बयान के बाद। चढ़ूनी ने कहा कि उन्होंने कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की, लेकिन कांग्रेस के नेता भूपेंद्र हुड्डा की गलतियों के कारण पार्टी को सत्ता नहीं मिल पाई। चढ़ूनी ने हुड्डा को “बुद्धिहीन” बताया और आरोप लगाया कि हुड्डा ने किसान नेताओं को टिकट न देकर उन्हें साइडलाइन किया। उन्होंने कहा कि अगर उन्हें या किसी और किसान नेता को टिकट दिया गया होता, तो कम से कम किसानों के बीच एक सकारात्मक संदेश जाता।

उन्होंने ये भी कहा कि हुड्डा ने कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं और वफादार कार्यकर्ताओं को किनारे कर दिया। चढ़ूनी के इस बयान के बाद बीजेपी ने कांग्रेस पर तीखा हमला किया। बीजेपी प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने आरोप लगाया कि चढ़ूनी के बयान से साफ है कि संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) और कांग्रेस के बीच राजनीतिक गठबंधन है। उन्होंने कहा कि चढ़ूनी ने खुले तौर पर स्वीकार किया है कि उनका मकसद कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाना था, जो साबित करता है कि किसान आंदोलन की आड़ में कांग्रेस ने राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश की।

कांग्रेस के भीतर इस बयान पर प्रतिक्रिया आई। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि चढ़ूनी की अपनी पार्टी है और वे अपनी राय रखने के लिए स्वतंत्र हैं। उन्होंने यह भी कहा कि चढ़ूनी कांग्रेस के सदस्य नहीं हैं, इसलिए वे इस विवाद में नहीं पड़ना चाहते। गुरनाम चढ़ूनी, जो कि किसान आंदोलन में प्रमुख भूमिका निभा चुके हैं, पेहोवा सीट से चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा और वे अपनी जमानत भी नहीं बचा सके। चढ़ूनी उन नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ चलाए गए आंदोलन में भाग लिया था। बाद में उन्होंने 2021 में अपनी राजनीतिक पार्टी ‘संयुक्त संघर्ष पार्टी’ बनाई थी।

चढ़ूनी का यह बयान कई सवाल खड़े करता है। अगर वह कह रहे हैं कि उन्होंने कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाया था, तो यह किसान आंदोलन की नीयत पर सवाल खड़ा करता है। क्या यह आंदोलन वास्तव में किसानों के मुद्दे हल करने के लिए था, या इसका उद्देश्य कांग्रेस को चुनावी लाभ दिलाना था? हजारों किसानों को आंदोलन में शामिल कर सड़कों पर बैठाना, उनका रोजगार ठप करना, और उन्हें नुकसान पहुंचाना क्या इसी उद्देश्य से किया गया था?

ऐसा ही 2022 के किसान आंदोलन के दौरान भी देखने को मिला था, जब योगेंद्र यादव ने यूपी चुनाव को लेकर कहा था कि उन्होंने विपक्ष के लिए “पिच तैयार की थी”, लेकिन विपक्ष उस पर “बैटिंग” नहीं कर पाया। उस समय दिल्ली में बैठे 700 किसानों की जान गई थी, जिसे योगेंद्र यादव विपक्ष के लिए पिच तैयार करना बता रहे थे, वो पिच किसानों की लाशों पर बनी थी। यही नहीं इन मुद्दों पर देश को भी गुमराह किया गया, कई देशवासी इसे किसानों का मुद्दा मानते हुए, इसका समर्थन-विरोध करते रहे, और वास्तविक मुद्दे नज़रअंदाज़ हो गए । ऐसे बयान सवाल उठाते हैं कि क्या ये आंदोलन केवल राजनीतिक लाभ के लिए किए जा रहे हैं, और क्या कांग्रेस सत्ता प्राप्त करने के लिए देश में अराजकता फैलाने का प्रयास कर रही है, चाहे वह किसान आंदोलन हो, अग्निवीर मुद्दा हो, या शाहीनबाग का प्रदर्शन। क्या इसी को 'टूलकिट' कहा जाता है, जो अक्सर चुनावों के समय नए नए मुद्दों को लेकर एक्टिवेट कर दी जाती है ?

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