मूर्ति पूजा के सख्त खिलाफ थे आर्य समाज के संस्थापक 'महर्षि दयानंद सरस्वती'

मूर्ति पूजा के सख्त खिलाफ थे आर्य समाज के संस्थापक 'महर्षि दयानंद सरस्वती'
Share:

नई दिल्ली: आर्य समाज के संस्थापक महर्षि दयानंद सरस्वती ने अपना समूचा जीवन मानव कल्याण, धार्मिक कुरीतियों पर रोकथाम और विश्व की एकता के प्रति समर्पित कर दिया. उनके कार्य और समर्पण को याद करते हुए आज भी लोग 'महर्षि दयानंद' का नाम अपार श्रद्धा के साथ लेते हैं. विश्व उद्धार के लिए दिए गए उनके अमूल्य योगदान को आज भी याद किया जाता है. आज उनकी पुण्यतिथि है 

12 फरवरी 1824 को गुजरात के तनकारा में दयानंद सरस्वती का जन्म  हुआ था. जबकि हिंदू पंचांग के मुताबिक, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि को स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती मनाई जाती है. महज 21 वर्ष की युवावस्था में दयानंद जी गृहस्ती का त्याग कर आत्मिक और धार्मिक सत्य की खोज में निकल पड़े थे. वर्ष 1845 से 1869 तक उनकी ये यात्रा बदस्तूर जारी रही. अपने इस 25 साल की वैराग्य यात्रा में उन्होंने कई सारी दैविक क्रियाकलापों के बीच योगभ्यास भी किया.

दयानंद जी ने श्री विराजानंद डन्डेसा के शरण में कई तरह के योगों का अभ्यास किया. 7 अप्रैल 1875 को उन्होंने आर्य समाज की स्थापना की. उनका उद्देश्य समूचे विश्व को एक साथ जोड़ना था. उन्होंने आर्य समाज के द्वारा 10 मूल्य सिद्धान्तों पर चलने की सलाह दी. स्वामी दयानंद मूर्ति पूजा के सख्त विरोधी थे और साथ ही वो धर्म की बनी-बनाई परम्पराओं और मान्यताओं में विश्वास नहीं करते थे.

एक बार फिर सेंसेक्स में आई इतने अंको की गिरवाट, जानिए क्या है निफ़्टी का हाल

महज 20 रुपए में 'बांस की बोतल' दे रहे चन्दन, प्लास्टिक से प्रदूषण के खिलाफ छेड़ी जंग

तालिबान ने प्रतिबंध हटाने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय का मांगा समर्थन

Share:

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -