ढाका: बांग्लादेश के खुलना शहर में एक बेहद चिंताजनक घटना सामने आई, जहाँ 15 वर्षीय दलित हिंदू लड़के, उत्सव मंडल को, एक उग्र भीड़ ने बेरहमी से पीटा। यह हमला इस आरोप के बाद हुआ कि उसने सोशल मीडिया पर पैगंबर मोहम्मद के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। घटना खुलना के सोनाडांगा आवासीय क्षेत्र के पुलिस स्टेशन के भीतर घटी, जहाँ उत्सव को भीड़ ने पुलिस के सामने ही पीट-पीटकर घायल कर दिया। यह मामला बांग्लादेश में तेजी से बढ़ रहे इस्लामी कट्टरपंथ की एक बानगी है, जो भारत के लिए भी गंभीर चिंता का विषय बनता जा रहा है।
बांग्लादेश
— ????????Jitendra pratap singh???????? (@jpsin1) September 5, 2024
एक नया वीडियो आया है. यह वीडियो #खुलना के सोनाडांगा पुलिस स्टेशन में हिंदू युवक उत्सव मंडल की हत्या से ठीक पहले का है।
कुछ मुस्लिम बातचीत करने के लिए पुलिस स्टेशन में दाखिल हुए।
फिर कुछ पढ़े-लिखे मुस्लिम युवकों ने पुलिस को झूठा वादा किया.
वे कह रहे थे, “सर,… pic.twitter.com/9llLKHJmLX
घटना बुधवार रात हुई, जब स्थानीय मदरसे के छात्रों का एक समूह उत्सव को पुलिस स्टेशन ले आया, उस पर आरोप लगाया गया कि उसने फेसबुक पर पैगंबर के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी पोस्ट की थी। देखते ही देखते बड़ी संख्या में मदरसे के छात्र और इमाम एसोसिएशन के सदस्य पुलिस स्टेशन के बाहर जमा हो गए और उत्सव को सख्त सजा की मांग करने लगे। जब पुलिस ने उन्हें आश्वासन दिया कि कानून के अनुसार कार्यवाही की जाएगी, तब भी कट्टरपंथी भीड़ को इससे संतुष्टि नहीं मिली। स्थिति तब और खराब हो गई जब मस्जिद से झूठी घोषणा की गई कि उत्सव की हत्या कर दी गई है। यह सुनकर भीड़ कुछ समय के लिए शांत हो गई, लेकिन जब उन्हें सच्चाई पता चली कि उत्सव अभी भी जीवित है, तो उन्होंने पुलिस स्टेशन पर धावा बोल दिया और उसे बुरी तरह पीट-पीटकर मार डाला।
यह बांग्लादेश का हिंदू उत्सव मंडल हैं।
— Chandan Sharma (@ChandanSharmaG) September 6, 2024
बांग्लादेशी मुसलमानों द्वारा हत्या कर दिया गया
इसका जुर्म सिर्फ इतना था कि यह बांग्लादेश का अल्पसंख्यक हिंदू था जो अपने धर्म का पालन करता था, लेकिन यह बात मुसलमानों को पसंद नही आया
भाईचारा गैंग का इसपर कोई प्रतिक्रिया.?? pic.twitter.com/oqkPpvhDxF
इस पूरी घटना में बांग्लादेश में बढ़ती मजहबी कट्टरता और उग्रवाद का भयावह रूप उजागर होता है। इस्लामिक कट्टरपंथ का यह बढ़ता प्रभाव बांग्लादेश के समाज को न केवल विभाजित कर रहा है, बल्कि धार्मिक अल्पसंख्यकों को भी भय और असुरक्षा के माहौल में जीने के लिए मजबूर कर रहा है। उत्सव मंडल का मामला इसी कट्टरपंथ का नतीजा है, जहाँ एक निर्दोष लड़के पर ईशनिंदा का आरोप लगाकर भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला गया है।
भारत के लिए यह स्थिति बेहद गंभीर है, क्योंकि बांग्लादेश में बढ़ रही धार्मिक कट्टरता की गूंज भारत के मुस्लिम बहुल इलाकों में भी सुनाई दे सकती है। भारत में भी कई बार इस्लामी कट्टरपंथ की घटनाएं सामने आई हैं, जहाँ दूसरे धर्मों के लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा है। कई इलाकों में धार्मिक असहिष्णुता के चलते हिंदू, सिख और अन्य समुदाय के लोगों को डर और तनाव में जीना पड़ता है। अगर बांग्लादेश जैसी कट्टरपंथी सोच भारत में भी जड़ें जमाने लगी, तो यह देश की सामाजिक समरसता और शांति के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। क्योंकि, दोनों देशों के लोगों में अधिक अंतर नहीं है, 70 साल पहले तक वो भारत का ही हिस्सा थे।
#Bangladesh#Khulna
— Hindu Voice (@HinduVoice_in) September 5, 2024
After the murder of Utsav Mondal, announcement was made from the loudspeaker of a nearby mosque.
The announcement confirmed the death of Utsav Mondal.
Now, Bangladesh Govt is trying to remove the news, suppress the news. #SaveBangladeshiHindus pic.twitter.com/EdbbG78vYJ
इस्लामी कट्टरपंथ का बढ़ता प्रभाव केवल धार्मिक समुदायों के बीच दूरी बढ़ाने का काम नहीं कर रहा, बल्कि यह दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और सामाजिक ताने-बाने को भी कमजोर कर रहा है। भारत को इस मामले में सतर्क रहना होगा, क्योंकि पड़ोसी देश में ऐसी घटनाओं का असर भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों पर भी पड़ सकता है। इस घटना ने यह साफ कर दिया है कि मजहबी कट्टरता का बढ़ना केवल एक देश या क्षेत्र का मसला नहीं, बल्कि इससे पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र में अशांति फैल सकती है। बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है।
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