पेट्रोल-डीजल के दाम में तेजी का प्रभाव महंगाई पर दिखने लगा है। रॉयटर्स सर्वे के अनुसार, फरवरी माह में रिटेल इंफ्लेशन मतलब खुदरा महंगाई दर बढ़कर 4.83 फीसदी पर पहुंच सकती है। जनवरी के माह में खुदरा महंगाई दर 4.06 फीसदी रही थी। सर्वे के अनुसार, पेट्रोलियम के अतिरिक्त फूड इंफ्लेशन में तेजी का भी प्रभाव नजर आ रहा है। इस वक़्त पेट्रोल-डीजल की कीमत आसमान छू रही है। भारत के कई जिलों में पेट्रोल 100 रुपए प्रति लीटर बिक रहा है जबकि कच्चा तेल एक वर्ष में पहली बार 70 डॉलर के लेवल को पार किया है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी बीते दिनों कहा था कि यदि पेट्रोल तथा डीजल के दाम पर नियंत्रण नहीं किया जाता है तो इसकी वजह से ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट बढ़ जाएगा तथा खुदरा महंगाई में तेजी आएगी। जनवरी माह में खुदरा महंगाई दर 16 महीने के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गई थी। जनवरी माह में रिटेल महंगाई दर 4.06 फीसदी रही। दिसंबर 2020 में यह रेट 4.59 फीसदी रहा था, जबकि नवंबर में महंगाई दर 7.6 फीसदी रही थी। जनवरी माह में फूड इंफ्लेशन रेट 1.89 फीसदी रहा था, जबकि दिसंबर के माह में यह 3.41 फीसदी रहा था। दाम में कटौती को लेकर दास ने कर में कटौती का सुझाव दिया था। इसके अतिरिक्त इसे जीएसटी के दायरे में भी लाने की बात की थी।
आरबीआई ने रिटेल इंफ्लेशन को 4 फीसदी पर रखा है। हालांकि +/- 2 फीसदी का मार्जिन दिया गया है। इसका अर्थ मिनिमम 2 फीसदी तथा मैक्सिमम 6 फीसदी के मध्य रिटेल इंफ्लेशन को रिजर्व बैंक के दायरे में माना जाता है। सर्वे में सम्मिलित आर्थिक जानकारों में किसी ने भी यह नहीं कहा कि खुदरा महंगाई 6 फीसदी के दायरे से बाहर जाएगी। उन्होंने बताया कि कच्चे तेल का दाम अवश्य 70 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच चुकी है, किन्तु रिटेल इंफ्लेशन अभी दायरे में रहेगी।
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