मूवी रिव्यू: 'द गाजी अटैक' भारतीय नौसेना के अदम्य साहस की सच्ची कहानी

मूवी रिव्यू: 'द गाजी अटैक' भारतीय नौसेना के अदम्य साहस की सच्ची कहानी
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क्रिटिक रेटिंग---3.5/5
स्टार कास्ट    ---अतुल कुलकर्णी, के के मेनन, राणा दग्गुबती, तापसी पन्नू,
ओम पूरी, राहुल सिंह, कुणाल कौशिक
डायरेक्टर---संकल्प रेड्डी
प्रोड्यूसर---धर्मा प्रोडक्शन, अन्वेष रेड्डी, एन एम पाशा
म्यूजिक---के (कृष्ण कुमार)
जॉनर---वॉर फिल्म

भारी भरकम व विशाल शरीर के मालिक हमारे 'बाहुबली' फेम राणा दग्गुबती की एक और फिल्म जिसका नाम है 'द गाजी अटैक' का रिव्यू हम आपके लिए लेकर आए है. आइये जानते है की कैसी बनी है यह फिल्म....   

कहानी :

अगर हम फिल्म की कहानी के बारे में बात करे तो तापसी पन्नू व राणा दग्गुबती के अभिनय से सजी इस फिल्म की कहानी 1971 के समय की है, उस दौरान जब भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान ने भारत के नौसेना के सबसे दमदार आईएनएस विक्रांत को जमींदोज करने के इरादे से अपनी सबसे कुशल पनडुब्बी 'गाजी' को भेजा था. व जब पाकिस्तान की इस करतूत के बारे में भारतीय नौसेना को पता चलता है तो भारतीय नौसेना के एस 21 पनडुब्बी पर मौजूद कप्तान रणविजय सिंह (के के मेनन), लेफ्टिनेंट कमांडर अर्जुन (राणा दग्गुबती), देवराज (अतुल कुलकर्णी) जैसे जाबांज ऑफिसर्स किस प्रकार से अपनी सोच और समझ के आधार पर पाकिस्तान की पीएनएस गाजी को समुद्र के अंदर ही नेस्तोनाबूत कर उसे मार गिराते है. आपको बता दे की पीएनएस गाजी भी अपनी अचूक क्षमताओ से परिपूर्ण थी व उसमे भी एस 21 से काफी ज्यादा मारक क्षमता थी, लेकिन किस प्रकार से हमारे भारतीय नौसेना के जांबांज जवान अपनी सूझ बूझ से लड़ाई करके भारतीय सेना ने यह मिशन पूरा किया.

फिल्म का निर्देशन :

फिल्म के निर्देशन के बारे में बात करे तो फिल्म का डायरेक्शन और खास तरीके से वीएफएक्स का काम बहुत ही शानदार है, जिसके लिए हम पूरी टीम को बधाई देते है. साथ ही स्क्रीनप्ले को बहुत सटीक रखा गया है, जो आपको सोचने पर विवश कर देता है और लगता है कि आपके सामने भारत और पाकिस्तान का डेडली मुकाबला चल रहा है. डायलॉग और सिनेमेटोग्राफी भी काफी अच्छी है. यह फिल्म 1971 में हुए भारत पाकिस्तान के बीच पानी के अंदर हुए युद्ध की दास्तान बयां करती है, जिसकी वजह से शायद आजकल की मसालेदार और ढिंचक फिल्में देखनी वाली जनता इसे अपने मानकों पर खरा ना समझे. लेकिन परफॉर्मेंस और कहानी को तवज्जो देने वाले जरूर ही इस फिल्म को देखना पसंद करेंगे.

स्टारकास्ट :

के के मेनन के साथ-साथ अतुल कुलकर्णी ने बहुत ही उम्दा अभिनय किया है. वहीं, राणा दग्गुबती हमे एक बार फिर अच्छी एक्टिंग करते दिख रहे हैं. खासतौर पर उनके और के के मेनन के बीच के सीन्स काफी दिलचस्प हैं. फिल्म में बांग्लादेशी शरणार्थी (उस समय वह ईस्ट पाकिस्तान हुआ करता था) के रूप में तापसी पन्नू का काम अच्छा है और बाकी सभी सह कलाकारों का काम सहज है.

फिल्म का म्यूजिक :

फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है और वैसे वॉर फिल्म होने की वजह से कोई और गीत नहीं रखा गया है। हालांकि, 'सारे जहां से अच्छा' और 'जन गण मन' भी फिल्म के दौरान आते हैं, जिसे सुनते ही एक अलग जज्बा अपने भीतर जाग उठता है.

देखें या नहीं?

अगर आपको इतिहास से जुड़ी कहानियां पसंद हैं और खासतौर पर परफॉर्मेंस पर आधारित फिल्में पसंद करते हैं, तो इसे जरूर देख सकते हैं.
 

मेरे कॅरियर की लाइफ चेंजर है यह फिल्म.....

'रनिंग शादी डॉट कॉम' नही अब मुझे 'रनिंग शादी' नाम से जाना जाए

सफलता व असफलता दोनों का अनुभव कर रही हूँ....

 

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