भारतीय बाजार में महंगी और लग्जरी गाड़ियों की भरमार है, जिनकी कीमतें करोड़ों में होती हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इन गाड़ियों की बिक्री से कंपनियों और सरकार को कितनी कमाई होती है? आमतौर पर लोग मानते हैं कि महंगी गाड़ियों से कंपनियों को सबसे ज्यादा लाभ होता है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है।
टोयोटा फॉर्च्यूनर की बिक्री पर गणित
टोयोटा फॉर्च्यूनर एक प्रीमियम SUV है, जिसकी एक्स-शोरूम कीमत 33 लाख 43 हजार रुपये है। जब भी यह गाड़ी बेची जाती है, तो निर्माता कंपनी को प्रति गाड़ी लगभग 35 से 40 हजार रुपये का लाभ होता है। वहीं, डीलर को लगभग 1 लाख रुपये कमीशन मिलता है। लेकिन सबसे बड़ा लाभ सरकार को होता है, जो हर बिक्री पर लगभग 1 लाख रुपये टैक्स के रूप में इकट्ठा करती है।
गाड़ी की असली कीमत क्या है?
साल 2022 में यूट्यूबर और सीए साहिल जैन ने एक वीडियो में खुलासा किया था कि टोयोटा फॉर्च्यूनर की एक्स-शोरूम कीमत 39,28,000 रुपये (उस समय की कीमत) है। इसमें से गाड़ी की असली कीमत लगभग 26,27,000 रुपये है। बाकी की राशि विभिन्न जीएसटी घटकों के कारण बढ़ जाती है। जीएसटी मुआवजा 22 प्रतिशत और जीएसटी 28 प्रतिशत होता है।
सरकार की कमाई पर एक नज़र
इसके अलावा, गाड़ी पर अन्य शुल्क भी लगाए जाते हैं, जिनमें रजिस्ट्रेशन, लॉजिस्टिक्स, फास्टैग, आदि शामिल हैं। इन सभी करों और शुल्कों को मिलाकर सरकार की कुल कमाई 18 लाख रुपये से भी ज्यादा हो जाती है।
कंपनियों और डीलर्स की कमाई का अंतर
लग्जरी गाड़ियों की बिक्री से कंपनियों को काफी अच्छा मार्जिन मिलता है, और डीलर्स को भी अच्छा कमीशन मिलता है। लेकिन, इन गाड़ियों पर टैक्स का बोझ काफी ज्यादा होता है। इसलिए, कंपनियों और डीलर्स के मुकाबले सरकार को इस बिक्री से अधिक लाभ होता है। इस गणित से साफ होता है कि महंगी गाड़ियों की बिक्री से सरकार को सबसे अधिक लाभ होता है, जबकि कंपनियों और डीलर्स को अपेक्षाकृत कम फायदा होता है। हालांकि, यह भी सच है कि लग्जरी गाड़ियों की बिक्री कंपनियों और डीलर्स को भी महत्वपूर्ण लाभ देती है, लेकिन टैक्स की भारी भरकम राशि सरकार के खाते में जाती है।
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