नई दिल्ली: राजनीतिक दलों को टैक्स फ्री करने के प्रस्ताव को सरकार द्वारा सिरे से खारिज़ कर दिया गया है. सरकार के हवाले से कहा गया है की, ये देश में राजनीतिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने और लोकतंत्र के हित में उन्हें नियंत्रित करने के लिए जरूरी हैं.
आरटीआइ कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल के सुझाव को सुसंगत नहीं बताते हुए वित्त मंत्रालय ने कहा कि राजनीतिक संस्थान किसी भी लोकतंत्र के आधारशिला हैं. आयकर अधिनियम, 1961 के 13ए, 80जीजीबी और 80जीजीसी में शामिल प्रावधान ऐसे संस्थानों को प्रोत्साहित और सशक्त बनाने की मंशा से तैयार किए गए हैं.
देश में छह राष्ट्रीय राजनीतिक दल हैं. इनमें कांग्रेस, भाजपा, बसपा, राकांपा, भाकपा और माकपा शामिल हैं. केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) की ओर से इन्हें सूचना के अधिकार (आरटीआइ) अधिनियम के दायरे में लाया गया था. वजह यह है कि इन्हें सब्सिडी और टैक्स छूट के रूप में सरकार से अप्रत्यक्ष फंडिंग प्राप्त होती है.