नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के विलय का चौथा चरण शुरू कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप इन बैंकों की संख्या वर्तमान में 43 से घटकर 28 हो सकती है। इस विलय प्रक्रिया के तहत, 15 आरआरबी का अलग-अलग राज्यों में एकीकरण किया जाएगा। आंध्र प्रदेश में सबसे अधिक चार आरआरबी हैं, जबकि उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में तीन-तीन आरआरबी का विलय होगा। अन्य राज्यों जैसे बिहार, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, और राजस्थान में दो-दो आरआरबी का विलय होगा। तेलंगाना में, आंध्र प्रदेश ग्रामीण विकास बैंक (एपीजीवीबी) और तेलंगाना ग्रामीण बैंक की परिसंपत्तियां और देनदारियां बांटी जाएंगी।
वित्तीय सेवा विभाग ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों को एक पत्र में बताया है कि ग्रामीण विस्तार, कृषि-जलवायु परिस्थितियों और भौगोलिक विशेषताओं को ध्यान में रखते हुए एक राज्य-एक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए समेकन की आवश्यकता है। इससे आरआरबी की दक्षता बढ़ेगी और लागत को प्रभावी ढंग से प्रबंधित किया जा सकेगा। नाबार्ड के सहयोग से तैयार किए गए खाके में कहा गया है कि इस प्रक्रिया के बाद आरआरबी की संख्या घटकर 28 रह जाएगी। प्रायोजक बैंकों के प्रमुखों से इस प्रस्ताव पर 20 नवंबर तक प्रतिक्रिया मांगी गई है।
आरआरबी की स्थापना 1976 के अधिनियम के तहत ग्रामीण किसानों, मजदूरों और कारीगरों को ऋण और अन्य वित्तीय सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी। 2015 में अधिनियम में संशोधन करके इन बैंकों को पूंजी जुटाने के नए साधन दिए गए। वर्तमान में, केंद्र सरकार की आरआरबी में 50% हिस्सेदारी है, जबकि प्रायोजक बैंकों की 35% और राज्य सरकारों की 15% हिस्सेदारी है। पहले, 2004-05 में आरआरबी के समेकन की शुरुआत हुई थी, जिससे 2020-21 तक तीन चरणों में उनकी संख्या 196 से घटकर 43 रह गई।
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