चंडीगढ़: हरियाणा पुलिस ने मंगलवार को दिल्ली की ओर मार्च करते समय कई प्रदर्शनकारी किसानों को हिरासत में ले लिया। प्रदर्शनकारी किसानों को अपने ट्रैक्टरों और हाथ के हथियारों का उपयोग करके बहुस्तरीय बैरिकेड्स को तोड़ने का प्रयास करते देखा गया। शंभू सीमा पर अराजकता का माहौल व्याप्त हो गया, क्योंकि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने से रोकने की कोशिश की।
बॉर्डर के दृश्यों में किसान सड़क के किनारे पास के खेत की ओर भागते दिख रहे हैं, क्योंकि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस और पानी की बौछारें कीं। सीमा के कई हिस्सों पर पुलिस द्वारा कंक्रीट स्लैब, लोहे की कीलें, बैरिकेड्स, कंटीले तार, पुलिस और अर्धसैनिक बल के जवानों को तैनात किया गया है। विरोध प्रदर्शन पर बोलते हुए, अंबाला रेंज के IG सिबाश कबिराज ने कहा कि, "हम पंजाब से आने वाले किसानों का स्वागत करते हैं। लेकिन अगर वे ट्रैक्टरों पर यात्रा करेंगे तो इससे लोगों के लिए समस्याएं पैदा होंगी।”
उन्होंने कहा कि, "वे बसों, ट्रेनों या पैदल यात्रा कर सकते हैं। अगर वे ट्रैक्टर पर आते हैं, तो हम उन्हें अनुमति नहीं देंगे। धारा 144 भी लगा दी गई है।" वहीं, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने किसानों के 'दिल्ली चलो' मार्च के जवाब में कृषक समुदाय द्वारा उठाई गई चिंताओं को दूर करने के लिए समय और विचार-विमर्श की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि, "हमें किसानों के हितों की परवाह है। अगर कोई इस मुद्दे पर राजनीति कर रहा है तो यह हमारी चिंता नहीं है। हम हमेशा बातचीत और चर्चा के लिए तैयार रहे हैं और इस मुद्दे का समाधान खोजने के लिए हर संभव प्रयास करने के लिए तैयार हैं।"
अर्जुन मुंडा किसान नेताओं के साथ बातचीत करने वाले मंत्रियों की टीम में शामिल हैं, जिसमें खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री पीयूष गोयल, MoS नित्यानंद राय और पंजाब के मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल भी शामिल हैं। किसानों ने केंद्र सरकार के सामने 12 मांगें रखी हैं, जिन्हें लेकर वे दिल्ली कूच कर रहे हैं। इस बार के विरोध प्रदर्शन का आह्वान संयुक्त किसान मोर्चा और पंजाब किसान मजदूर संघर्ष समिति ने किया है, जिसका नेतृत्व किसान यूनियन नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल और सरवन सिंह पंढेर कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी किसानों के अनुसार, केंद्र ने उन्हें फसल की बेहतर कीमत का वादा किया जिसके बाद उन्होंने 2021 का विरोध समाप्त कर दिया।
वे स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी वाला कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। वे पूर्ण कर्ज माफी और किसानों और खेत मजदूरों को पेंशन प्रदान करने की योजना की भी मांग कर रहे हैं। किसानों ने बिजली संशोधन विधेयक 2020 को रद्द करने का भी आग्रह किया है और भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को फिर से लागू करने, किसानों की सहमति सुनिश्चित करने और कलेक्टर दर से 4 गुना मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा, वे लखीमपुर खीरी हत्याओं में शामिल लोगों को दंडित करने की मांग कर रहे हैं।
किसानों द्वारा खेती से जोड़ते हुए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 (मनरेगा) के तहत प्रति वर्ष 200 दिन का रोजगार और 700 रुपये की दैनिक मजदूरी प्रदान करने की अपील भी की गई है। साथ ही 2021 में विरोध प्रदर्शन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा और परिवार के किसी सदस्य को नौकरी देने की भी मांग की गई है।
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