नई दिल्ली: आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला आम बजट संसद में पेश कर रही हैं। यह उनका लगातार सातवां बजट है। इस बजट को लेकर आम जनता और विशेष हित समूहों दोनों में काफी उत्सुकता है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने भाषण की शुरुआत इस बात पर जोर देकर की, कि लोगों को सरकार की नीतियों पर भरोसा है और भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत है तथा महंगाई लगभग 4 प्रतिशत पर नियंत्रण में है।
उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था फल-फूल रही है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बजट का उद्देश्य विकसित भारत के लिए रोडमैप तैयार करना है, जिसमें कृषि उत्पादकता, रोजगार, कौशल विकास और सुधारवादी नीतियों को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
विकसित भारत बनाने की वित्त मंत्री की 9 सूत्री योजना:-
कृषि उत्पादकता: कृषि क्षेत्र में उत्पादकता बढ़ाना सर्वोच्च प्राथमिकता है।
रोजगार और कौशल: रोजगार के अवसर बढ़ाना और कौशल विकास दूसरी प्राथमिकता है।
समावेशी मानव संसाधन विकास और सामाजिक न्याय: तीसरी प्राथमिकता समावेशी विकास और सामाजिक न्याय पर केंद्रित है।
विनिर्माण और सेवा: विनिर्माण और सेवा क्षेत्र को मजबूत करना चौथी प्राथमिकता है।
शहरी विकास: पांचवीं प्राथमिकता शहरी विकास पर जोर देती है।
ऊर्जा सुरक्षा: ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना छठी प्राथमिकता है।
बुनियादी ढांचा: सातवीं प्राथमिकता बुनियादी ढांचे के विकास पर केंद्रित है।
नवाचार, अनुसंधान और विकास: आठवीं प्राथमिकता नवाचार, अनुसंधान और विकास पर जोर देती है।
अगली पीढ़ी के सुधार: नौवीं प्राथमिकता में अगली पीढ़ी के सुधारों को लागू करना शामिल है।
वित्त मंत्री ने कहा कि ये प्राथमिकताएँ भविष्य की बजट तैयारियों का मार्गदर्शन करेंगी।
प्रमुख घोषणाएँ:
चार समूहों के उत्थान पर ध्यान केंद्रित: गरीब, युवा, अंत्योदय (सबसे वंचित) और महिलाएँ।
युवाओं को रोज़गार देने के उद्देश्य से 2 लाख करोड़ रुपये की पाँच योजनाएँ शुरू की गईं।
कृषि क्षेत्र को उन्नत बनाने के लिए 1.52 लाख करोड़ रुपये का आवंटन।
उच्च शिक्षा के लिए 10 लाख रुपये के ऋण की घोषणा।
शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में पीएम आवास योजना के तहत 3 करोड़ घरों का प्रावधान।
इस वर्ष ग्रामीण विकास के लिए 2.66 करोड़ रुपये का आवंटन।
क्या माध्यम वर्ग को मिलेगी राहत ?
मध्यम वर्ग को कर दरों में कमी और बुनियादी छूट सीमा में वृद्धि की उम्मीद है। वर्तमान में, पुरानी कर प्रणाली के तहत मूल छूट सीमा 2.5 लाख रुपये और नई प्रणाली के तहत 3 लाख रुपये है। ऐसी उम्मीद है कि नई प्रणाली के तहत यह सीमा बढ़ाकर 5 लाख रुपये की जा सकती है। टैक्सआराम इंडिया के संस्थापक-निदेशक मयंक मोहनका सहित कराधान और वित्त विशेषज्ञों का सुझाव है कि इस तरह के बदलावों से कर राजस्व पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा, लेकिन उच्च कर ब्रैकेट वाले लोगों के लिए पर्याप्त बचत हो सकती है। इसके अलावा, विशेषज्ञ 15-20 लाख रुपये के बीच की आय के लिए एक नए टैक्स स्लैब की वकालत कर रहे हैं। वर्तमान में, 15 लाख रुपये तक की आय पर 20 प्रतिशत और 15 लाख रुपये से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत कर लगता है। इस सीमा में आय के लिए 25 प्रतिशत का नया टैक्स स्लैब अधिक संतुलित कर संरचना प्रदान कर सकता है।