लखनऊ: उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के बेनीगंज कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले हांस बरौली गांव में जश्न का माहौल था. हर कोई सज-धजकर इधर से उधर टहल रहा था. तक़रीबन पूरा गांव लखीमपुर से आ रही बारात के जश्न में शामिल था. इसके साथ ही, बड़ी-बड़ी हांड़ियों पर बिरयानी, कबाब कोरमा और गोश्त बारात के स्वागत की राह तक रहे थे.
इसी बीच अचानक जानकारी मिली कि बारात गांव के बाहर तक पहुँच चुकी है. बारात के स्वागत की पूरी तैयारियां पहले से ही थीं. बारातियों का स्वागत करते हुए उनके भोजन से पहले नाश्ता कराया गया. तमाम स्वागत के बाद बातों ही बातों में मेहर को लेकर बातें होने लगी. बारात की आवभगत के बाद निकाह की रस्में आरम्भ हुईं. दूल्हे के पिता बबलू ने दुल्हन के लिए लाए गए जेवरातों को वधु पक्ष को सौंपा. कुछ ही देर के बाद में दुल्हन पक्ष की ओर से औरतों की कानाफूसी तेज हो गई, जिसमें आभूषणों में गले का हार यानी नेकलेस कम होना बताया जा रहा था. धीरे-धीरे यह बात दुल्हन तक जा पहुंची.
नेकलेस न होने के कारण दुल्हन ने स्पष्ट शब्दों में निकाह करने से ही मना कर दिया. यह सुनकर लखीमपुर खीरी से नाचते-गाते हांस बरौली गांव पहुंची बारात के पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई. कुछ लोग नाश्ता अधूरा छोड़कर एक जगह समूह बनाकर इकठ्ठा हो गए. पहले तो बारात में ही मान-मनौव्वल की कोशिशें चलती रहीं, मगर धीरे-धीरे पूरा दिन गुजरते-गुजरते मामला थाने तक पहुंच गया. थाने पर पंचायत जुटी, मगर दुल्हन निकाह के लिए राजी नहीं हुई और इस कारण बिना दूल्हन लिए बारात को बैरंग वापस लौटना पड़ा. अपर पुलिस अधीक्षक दुर्गेश सिंह ने जानकारी दी है कि वधु पक्ष की रजामंदी न होने के कारण बारात बैरंग वापस चली गई. किसी भी तरह का वाद किसी भी तरफ से दर्ज नहीं कराया गया है. माहौल न बिगड़े, इसलिए पुलिस ने मामले में दखल दिया था, लेकिन गांव में माहौल बिल्कुल शांत है.
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