आपने देखा की जहां एक और शिक्षा को बढ़ापा दिया जा रहा है, नए -नए कोर्स शुरू हो रहे है. वहीं एक और शिक्षण संस्थानों में शिक्षकों की कमी आ रही है. जैसा की राष्ट्रीय स्तर पर आईआईटी में 2000 शिक्षकों का पद रिक्त है, वहीं एनआईटी में 3000 नये शिक्षकों की आवश्यकता है. जबकि दोनों ही संस्थानों में 5000 शिक्षकों की संख्या स्वीकृत है.
एचआरडी मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि हालांकि शिक्षकों की कमी के बावजूद छात्रों की पढ़ाई पर कोई असर नहीं हो रहा है. वहीं दूसरी ओर, संस्थानों के पदाधिकारियों का कहना है कि हालांकि पढ़ाई पर शिक्षकों की रिक्तता का कोई असर नहीं हो रहा है, पर शिक्षकों और छात्रों का अनुपात खराब होने की वजह से विश्व में उनकी रैंकिंग घट गई है.
कितनी सीट्स खाली
आंकड़ों की मानें तो आईआईटी में राष्ट्रीय स्तर पर 5073 शिक्षकों के पद हैं, जिसमें 2671 शिक्षकों का पद खाली है. दूसरी ओर एनआईटी में 5428 शिक्षकों का पद हैं, जिसमें 3183 खाली हैं. वहीं, आईआईएम में भी कुछ ऐसा ही हाल है. कुल 703 फैकल्टी के स्ट्रेंथ वाले आईआईएम में 212 शिक्षकों की सीट खाली है.
आईआईटी दिल्ली के एक उच्च पदाधिकारी ने बताया कि फैकल्टी की घटती संख्या हमारी रैंकिंग को प्रभावित कर रही है, क्योंकि संस्थान में छात्र और शिक्षकों का अनुपात खराब हो गया है. ऐसा तब हो रहा है, जब सरकार खुद आईआईटी की रैंकिंग को विश्वजीत प्रोजेक्ट के जरिये बढ़ाना चाहती है. टीचर्स की घटती संख्या विश्वजीत प्रोजेक्ट में रुकावट डाल रही है.
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