गर्भावस्था महिलाओं के लिए एक चुनौतीपूर्ण समय होता है, और उनके स्वास्थ्य और सेहत को प्राथमिकता देना ज़रूरी है। इस अवधि के दौरान, महिलाओं के शरीर में महत्वपूर्ण हार्मोनल परिवर्तन होते हैं, और उन्हें खुद की और अपने अजन्मे बच्चे की देखभाल करनी चाहिए। नई माताओं के लिए एक स्वस्थ आहार महत्वपूर्ण है, और वरिष्ठ आहार विशेषज्ञ पायल शर्मा इस चरण के दौरान संतुलित आहार के महत्व पर जोर देती हैं।
भारत में, घी, बेसन के लड्डू, अजवाइन का हलवा और सूखे मेवे जैसे पारंपरिक खाद्य पदार्थ आम तौर पर नई माताओं को दिए जाते हैं। जबकि ये खाद्य पदार्थ वसा और चीनी से भरपूर होते हैं, ये माँ और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। शोध बताते हैं कि माँ का आहार प्रसव के बाद भी उसके बच्चे के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। अत्यधिक चीनी का सेवन करने से बच्चों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ हो सकती हैं, जिसमें टाइप 2 मधुमेह का जोखिम भी शामिल है।
अमेरिकन जर्नल ऑफ प्रिवेंटिव मेडिसिन में कहा गया है कि स्तनपान कराने वाली माताओं में असंतुलित आहार से मोटापा बढ़ सकता है और बच्चों में टाइप 2 मधुमेह का खतरा बढ़ सकता है। मधुमेह एक खामोश हत्यारा रोग है, और प्रसव के बाद चीनी के सेवन के बारे में सावधान रहना आवश्यक है।
आहार विशेषज्ञ पायल शर्मा नई माताओं के लिए संतुलित आहार की सलाह देती हैं, जिसमें विटामिन डी, एंटीऑक्सीडेंट, आयरन, फोलेट, आयोडीन, कैल्शियम और ओमेगा-3 फैटी एसिड जैसे आवश्यक पोषक तत्व शामिल हैं। ये पोषक तत्व कमज़ोरी को दूर करने और बच्चे के विकास और वृद्धि में सहायता करते हैं। संतुलित आहार बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी प्रभावित करता है, जिससे नई माताओं के लिए अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना महत्वपूर्ण हो जाता है।
निष्कर्ष के तौर पर, जबकि पारंपरिक खाद्य पदार्थ आरामदायक हो सकते हैं, नई माताओं को अपने स्वास्थ्य और अपने बच्चे की भलाई सुनिश्चित करने के लिए संतुलित आहार पर ध्यान देना चाहिए। सूचित विकल्प बनाकर, नई माताएँ खुद को और अपने बच्चों को स्वस्थ भविष्य के लिए तैयार कर सकती हैं।
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