नई दिल्ली: कांग्रेस के सांसद केसी वेणुगोपाल और हिबी ईडन ने आज गुरुवार (8 अगस्त) को लोकसभा में वक्फ बोर्डों को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन करने वाले विधेयक को पेश करने का विरोध करने के लिए नोटिस दिया। यह विधेयक सरकार को वक्फ संपत्तियों को विनियमित करने में एक बड़ा अधिकार देगा, जिसे अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू लोकसभा में पेश करेंगे।
अन्य विपक्षी दलों ने भी प्रस्तावित कानून पर चिंता व्यक्त की, जिसे एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम के नाम से जाना जाएगा। समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा कि यह विधेयक सरकार द्वारा वक्फ संपत्ति पर अतिक्रमण करने का प्रयास है। उन्होंने कहा, "संसद में विधेयक पेश होने दीजिए, समाजवादी पार्टी अपना रुख स्पष्ट कर देगी।" शिवसेना (UBT) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि विधेयक पर सभी हितधारकों से परामर्श किया जाना चाहिए और यदि आवश्यक हो तो संशोधन किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि, "जिस तरह से यह विधेयक लाया जा रहा है, मैं पूछूंगी कि क्या इस पर उनके गठबंधन (NDA) में चर्चा हुई है। क्या JDU और TDP ने इस वक्फ विधेयक को देखा है और इस पर अपनी सहमति दी है? अगर ऐसा नहीं किया गया है, तो सभी हितधारकों, सांसदों की बात जरूर सुनी जानी चाहिए।"
क्या है वक्फ बोर्ड और कितनी संपत्ति है उसके पास ?
बता दें कि, वक्फ शब्द की उत्पत्ति अरबी भाषा के लफ्ज वकुफा से हुई है। इस्लाम में वक्फ उस संपत्ति को कहा जाता है, जो अल्लाह के नाम पर दान कर दी जाती है। एक बार संपत्ति वक्फ हो गई, तो फिर उसे मालिक को कभी वापस नहीं मिलती। वक्फ बोर्ड के पास देश में इंडियन आर्मी और इंडियन रेलवे के बाद सबसे अधिक जमीन है। यानी, वक्फ बोर्ड भारत का तीसरा सबसे बड़ा जमीन मालिक है। वक्फ मैनेजमेंट सिस्टम ऑफ इंडिया के अनुसार, 2022 तक देश के सभी वक्फ बोर्डों के पास कुल मिलाकर 8 लाख 54 हजार 509 संपत्तियां हैं, जो लगभग 8 लाख एकड़ से अधिक जमीन पर फैली है। बड़ी बात ये भी है कि, वक्फ यदि आपके घर पर दावा ठोंक दे, यानी उसे वक्फ प्रॉपर्टी घोषित कर दे, तो आप किसी कोर्ट में भी नहीं जा सकते, उसके लिए आपको वक्फ बोर्ड ट्रिब्यूनल के पास ही जाना होगा। फिर ट्रिब्यूनल की इच्छा की वो आपकी संपत्ति वापस दे या नहीं ? यहाँ तक कि इलाहबाद हाई कोर्ट को भी अपनी जमीन वक्फ से वापस पाने के लिए काफी पापड़ बेलने पड़े थे, वो तो अदालत थी, इसलिए सुप्रीम कोर्ट में उसकी सुनवाई हो गई और उसे जमीन वापस मिली, वरना इलाहबाद हाई कोर्ट की जमीन पर भी वक्फ का कब्ज़ा होता। मुकेश अंबानी के एंटीलिया पर भी वक़्फ़ ने दावा ठोंक रखा है, वो केस 2013 से पहले का था, इसलिए कोर्ट में पेंडिंग है, अगर बाद का होता, तो अंबानी भी वक़्फ़ ट्रिब्यूनल के चक्कर लगा रहे होते।
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