IFFI जूरी के प्रमुख नदाव लैपिड ने 'द कश्मीर फाइल्स' को लेकर दिये बयान से बवाल मचा दिया है। जी दरअसल 53वें आईएफएफआई गोवा के समापन समारोह में लैपिड ने विवेक अग्निहोत्री की फिल्म को 'वल्गर और प्रोपेगेंडा' कहा। उनके इसी बयान के बाद से लगातार बवाल जारी है। अब इन सभी के बीच कई सेलेब्स ने इस पर प्रतिक्रिया दी है और अब बॉलीवुड एक्टर पुनीत इस्सर ने भी इस पर बात की है। उन्होंने कहा- "हमारी फिल्म इंडस्ट्री में एक बहुत बड़ा गिरोह काम कर रहा है, जो इंडिपेडेंट फिल्ममेकर्स के खिलाफ है जिन्होंने सच बोलने की हिम्मत की है। ये नदाव लैपिड जैसे लोग उनके माउथपीस हैं, जिन्होंने ऐसे अपशब्द इस्तेमाल किये हैं। क्या यह व्यक्ति उस नरसंहार के बारे में भूल गया है जो यहूदियों को जर्मन द्वारा सहना पड़ा था। इतनी अनगिनत फिल्में बनी हैं वर्ल्ड वॉर 2 के दौरान यहूदियों के साथ जो अत्याचार हुआ, उस पर। एक इजरायली होकर, एक यहूदी होकर, आपको इस विषय पर संवेदना होनी चाहिए। लेकिन आपने ना फिल्म ढ़ंग से देखी, ना कुछ सोचा और आप ऐसे शब्द इस्तेमाल कर रहे हैं।"
इसी के साथ उन्होंने यह भी कहा- "आप ये बोल सकते थे कि मुझे अच्छी नहीं लगी फिल्म। वो समझा जा सकता था। लेकिन आप कह रहे हैं कि ये वल्गर है! मतलब किस एंगल से ये वल्गर है। ये शब्द ही गलत है और इसका मतलब यही है कि आपने फिल्म देखी ही नहीं है। और दूसरा आप कह रहे हैं कि ये प्रोपेगेंडा फिल्म है। ये तो क्लीयर है कि ये शब्द उनके मुंह में डाले गए हैं। ऐसी फिल्म जिसने सारे रिकॉर्ड तोड़ हैं। जिस छोटी सी फिल्म ने 400 करोड़ का बिजनेस किया है। वो फिल्म जिसने रिएलिटी दिखाई है, वो फिल्म जिसे क्रिटिक्स ने भी पसंद किया है, आप उस फिल्म को लेकर ऐसी बातें कह सकते हैं!"
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वहीं आगे पुनीस इस्सर ने कहा कि व्यक्तिगत विचार की हम इज्जत करते हैं। लेकिन जिस तरह के शब्द का उन्होंने इस्तेमाल किया है, मैं उससे हैरान हूं।। कि कैसे कोई जिम्मेदार व्यक्ति इस तरह की बात कर सकता है। शर्म आनी चाहिए ऐसे लोगों को। मुझे तो यकीन है कि उन्होंने फिल्म देखी ही नहीं है। उन्हें बोला गया है कि आप ऐसा बोल दो।
इसके अलावा एक्टर ने यह भी कहा, "प्रोपेगेंडा की बात करें तो आम पब्लिक पागल नहीं हैं, जिन्होंने ये फिल्म देखी। एक 'मोदी' फिल्म भी तो आई थी, वो तो नहीं चली। लोग जो प्रोपेगेंडा की बात करते हैं, गलत बात करते हैं। इस फिल्म में फैक्ट्स के साथ आपको सच्चाई दिखाई गई है। कई इंटरव्यू और वीडियो तो पब्लिक में उपलब्ध हैं, उसके बावजूद आप इसे प्रोपेगेंडा कह रहे हैं! तो ये हैरान करने वाली बात है। वो कहा जाता है कि ना कि सौ बार झूठ कहो, तो वही सच मान लिया जाता है। लेकिन यहां ऐसा नहीं होगा। ये शुतुरमुर्ग बन गए हैं, आंख बंद करके बैठे हैं कि हमने तो सत्य देखा ही नहीं।"
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