‘मस्जिद’ की चाबियाँ सरकार के पास रहेंगी, पांडववाड़ा मामले में मुस्लिम पक्ष को SC से झटका

‘मस्जिद’ की चाबियाँ सरकार के पास रहेंगी, पांडववाड़ा मामले में मुस्लिम पक्ष को SC से झटका
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जलगाँव: शुक्रवार (19 अप्रैल 2024) को सर्वोच्च न्यायालय ने एक मामले में फैसला सुनाया कि जलगाँव के एरंडोल तालुका के एक ‘मस्जिद’ की चाबियाँ नगरपालिका परिषद के पास रहेंगी। इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि स्थानीय परिषद प्रातः नमाज आरम्भ होने से कुछ देर पहले गेट खोलने के लिए एक अफसर नियुक्त करेगी, जो नमाज होने तक इसे खुला रखेगा।

जस्टिस सूर्यकांत एवं केवी विश्वनाथन की पीठ ने बॉम्बे उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ जुम्मा मस्जिद ट्रस्ट कमेटी की दायर अपील को खारिज कर दिया। उच्च न्यायालय ने कमेटी को मस्जिद की चाबियाँ 13 अप्रैल 2024 तक परिषद को सौंपने के लिए कहा था। इसके अतिरिक्त, न्यायालय ने फैसला कहा है कि अगले आदेश तक मस्जिद परिसर का नियंत्रण वक्फ बोर्ड या याचिकाकर्ता द्वारा किया जाएगा। अपने आदेश में न्यायालय ने कहा, “पूरे परिसर के मुख्य प्रवेश द्वार की चाबी नगर परिषद के पास रहेगी। मस्जिद परिसर के सिलसिले में यथास्थिति रहेगी और यह अगले आदेश तक वक्फ बोर्ड या याचिकाकर्ता सोसायटी के नियंत्रण में रहेगा। इसके साथ ही मंदिरों या स्मारकों का प्रवेश या निकास में किसी प्रकार का रोक नहीं रहेगा तथा सभी धर्म के लोगों को बिना किसी समस्या के दर्शन करने की अनुमति होगी।”

16 जुलाई 2023 को प्रशासन ने सदियों पुरानी विवादित मस्जिद को अस्थायी रूप से सील कर दिया गया था। दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 144 के तहत एक आदेश जारी किया, जिसमें राज्य पुरातत्व विभाग के तहत संरक्षित परिसर में प्रार्थना पर तत्काल पाबंदी लगा दी गई थी। कलेक्टर ने क्षेत्र में पुलिस तैनाती का भी निर्देश दिया था तथा स्थानीय प्रशासन को ‘विवादित मस्जिद’ का प्रभार लेने के लिए कहा था। तत्पश्चात, विवादित मस्जिद के ढाँचे की देखभाल करने वाली जुम्मा मस्जिद ट्रस्ट कमेटी ने नमाज अता करने के लिए परिसर में प्रवेश पर पाबंदी लगाने के कलेक्टर के आदेश के खिलाफ बॉम्बे उच्च न्यायालय के औरंगाबाद बेंच में याचिका दायर की थी।

जुम्मा मस्जिद ट्रस्ट कमेटी के अध्यक्ष अल्ताफ खान ने याचिका में दावा किया गया था कि कलेक्टर ने 11 जुलाई 2023 को ‘मनमाना एवं अवैध’ आदेश पारित किया था, जिसमें ट्रस्ट को विवादित ‘मस्जिद’ की चाबियाँ एरंडोल नगरपालिका परिषद के प्रमुख अधिकारी को सौंपने का निर्देश दिया गया था। तब हाई कोर्ट ने कलेक्टर के निर्देश पर स्थगन आदेश जारी कर दिया था। पांडववाड़ा संघर्ष समिति के शिकायतकर्ता प्रसाद मधुसूदन दंडवते ने ऑपइंडिया को इस घटनाक्रम की पुष्टि की थी। दंडवते ने कहा था, “वहाँ लगभग 4-5 मुस्लिम रोजाना नमाज पढ़ते हैं। अब उन्हें अनुमति दे दी गई है, किन्तु हिंदू समुदाय के सदस्य भी पांडववाड़ा के परिसर में जा सकते हैं, जिस पर मस्जिद ट्रस्ट ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया है।”

इससे पहले यह बताया गया था कि कैसे महाराष्ट्र के जलगाँव जिले के एरंडोल क्षेत्र में पांडववाड़ा को एक मस्जिद में बदल दिया गया था। यह कहानी तब आरम्भ हुई, जब दंडवते ने जिला प्रशासन से शिकायत की कि मस्जिद का निर्माण अवैध रूप से एक हिंदू पूजास्थल पर किया गया है एवं इसे अफसरों द्वारा अपने कब्जे में ले लिया जाना चाहिए। पांडववाड़ा संघर्ष समिति की शिकायत के मुताबिक, ट्रस्ट ने परिसर पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया था तथा 800-1000 साल पुराने पांडववाड़ा में कई परिवर्तन किए हैं, जो आज राज्य पुरातत्व विभाग के तहत संरक्षित है। ट्रस्ट ने पांडववाड़ा में बिजली, पंखे, सीमेंट के दरवाजे और पानी के कनेक्शन लगाए।

दंडवते ने कहा, “मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए नमाज से पहले हाथ धोने के लिए वुज़ुखाना का अवैध निर्माण किया है। उन्हें यह अनुमति किसने दी?” उन्होंने कहा था कि पांडववाड़ा के आसपास के हिंदू प्रतीक एवं संरचना को जुम्मा मस्जिद ट्रस्ट द्वारा नष्ट कर दिया गया है। इसी ट्रस्ट ने यहाँ पर अवैध रूप से अतिक्रमण करके यहाँ मस्जिद का ढाँचा तैयार किया है। संघर्ष समिति ने जिला प्रशासन एवं कोर्ट से इस निर्माण के खिलाफ शिकायत की थी तथा माँग की है कि पांडववाड़ा में किए गए सभी अवैध निर्माण और लगाए गए अतिरिक्त चीजों को हटाई जाए। समिति ने संपत्ति को प्राधिकरण द्वारा अपने कब्जे में लेने तथा इसकी आयु निर्धारित करने के लिए वैज्ञानिक मूल्यांकन की भी माँग की है।

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