सावन माह में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत त्रयोदशी तिथि को प्रदोष काल में किया जाता है। प्रदोष काल वह समय होता है जब सूर्यास्त के बाद और रात्रि के प्रथम प्रहर तक का समय होता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। प्रदोष व्रत का पालन करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है।
प्रदोष व्रत की विशेषता
प्रत्येक माह में दो पक्ष होते हैं: कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष। इन दोनों पक्षों की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत किया जाता है। सावन माह के अंत में जो प्रदोष व्रत आता है, उसे विशेष रूप से शनि प्रदोष व्रत कहा जाता है, क्योंकि यह दिन शनिवार को पड़ता है। इस दिन भगवान शिव और शनि देव की पूजा करने का बड़ा महत्व है।
प्रदोष व्रत 2024 का विवरण
सावन माह की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 17 अगस्त 2024 को सुबह 8:05 बजे से प्रारंभ होगी और 18 अगस्त 2024 को सुबह 5:51 बजे तक चलेगी। शनि प्रदोष व्रत 17 अगस्त को होगा। पूजा का शुभ समय शाम 6:58 बजे से रात 9:11 बजे तक रहेगा।
भगवान शिव के मंत्र
प्रदोष व्रत के दौरान भगवान शिव की पूजा के लिए निम्न मंत्रों का जाप किया जा सकता है:
शिव पूजा मंत्र:
नमामीशमीशान निर्वाणरूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदस्वरूपम्। निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम्॥
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
ओम नमः शिवाय॥
प्रदोष व्रत के अवसर पर भगवान शिव की उपासना से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। इस दिन शिव प्रतिमा के दर्शन करना और व्रत का पालन करना अत्यंत लाभकारी होता है।
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