गोलियां लेफ्ट सरकार ने चलवाई, 11 कार्यकर्ता कांग्रेस के मरे, TMC क्यों मनाती है शहीद दिवस ? समझिए पूरा मामला

गोलियां लेफ्ट सरकार ने चलवाई, 11 कार्यकर्ता कांग्रेस के मरे, TMC क्यों मनाती है शहीद दिवस ? समझिए पूरा मामला
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कोलकाता: रविवार, 21 जुलाई, 2024 को बंगाल सीएम  ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने शहीद दिवस मनाया। यह कार्यक्रम शुरू में कांग्रेस पार्टी द्वारा मनाया जाता था, लेकिन धीरे-धीरे कांग्रेस इसे भूल गई और ममता बनर्जी ने इसे अपने हाथों में ले लिया। दरअसल, यह दिन 1993 की घटना की याद दिलाता है, जब राइटर्स बिल्डिंग के सामने एक प्रदर्शन के दौरान कोलकाता पुलिस ने 13 युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं को मार डाला था, जिसका नेतृत्व उस समय युवा कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी ही कर रहीं थीं। 1 जनवरी 1998 को ममता बनर्जी ने कांग्रेस के खिलाफ अपनी तृणमूल कांग्रेस (TMC) खड़ी की।

दरअसल, 1997 में ममता चाहती थीं कि कांग्रेस पश्चिम बंगाल में LEFT सरकार के खिलाफ भाजपा के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़े, लेकिन कांग्रेस को ये मंजूर नहीं था। वो अपने ऊपर हिंदूवादी पार्टी होने का ठप्पा नहीं लगाना चाहती थी, क्योंकि इससे मुस्लिम वोट बैंक छिटक जाता। नतीजा ये हुआ कि, ममता ने कांग्रेस छोड़ दी, और वही राह पकड़ ली, जो कांग्रेस और वामपंथी दलों की थी। यानि तुष्टिकरण की राजनीति, कभी बांग्लादेशियों को बाहर निकालने के लिए सदन में आवाज़ उठाने वाली ममता बनर्जी, आज खुलकर ऐलान करती हैं कि वे रोहिंग्या और बांग्लादेशियों को बाहर नहीं जाने देंगी। पहले वे कहती थीं कि लेफ्ट ने घुसपैठियों को वोट बैंक बना रखा है, हो सकता है अब वे घुसपैठिए TMC का वोट बैंक बन चुके हों।   

क्या थी 1993 की घटना ?

1993 में युवा कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ वामपंथी दलों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन आयोजित किया था। कांग्रेस ने मांग की थी कि मतदान के लिए राशन कार्ड के बजाय केवल मतदाता पहचान पत्र का उपयोग किया जाना चाहिए, जिसे तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु ने खारिज कर दिया था। 1984 के लोकसभा चुनावों में दिग्गज नेता सोमनाथ चटर्जी को हराकर प्रसिद्धि पाने वाली ममता बनर्जी ने इस रैली का नेतृत्व किया था। इसके बाद बंगाल पुलिस की गोलीबारी में 13 युवा कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मौत हो गई थी।

शुरू के कुछ सालों में, कांग्रेस 21 जुलाई को प्रति वर्ष शहीद दिवस के रूप में मनाती थी। हालाँकि, 1998 में, जब ममता बनर्जी ने कांग्रेस छोड़कर TMC का गठन किया, तो उन्होंने इस दिन को मनाने की जिम्मेदारी संभाल ली। तब से, TMC हर साल बड़े पैमाने पर शहीद दिवस मनाती है, जिसका इस्तेमाल पश्चिम बंगाल में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) [CPIM] के खिलाफ अपने रुख को उजागर करने के लिए करती है।

इस साल, ममता बनर्जी ने 21 जुलाई को कोलकाता के धर्मतला इलाके में एक महत्वपूर्ण रैली आयोजित की, जिसमें INDIA एलायंस के सहयोगी शामिल हुए। हालाँकि, चुनावों के दौरान ममता बनर्जी ने खुद को विपक्षी गठबंधन से अलग कर लिया, लेकिन उन्होंने कम्युनिस्ट पार्टियों के सहयोगियों को मंच पर आमंत्रित किया, जिससे उनके राजनीतिक रुख में विरोधाभास पैदा हो गया। लोकसभा चुनावों के दौरान, उन्होंने INDIA एलायंस के साथ एक जटिल रिश्ता बनाए रखा - अपनी स्वतंत्रता का दावा करते हुए, साथ ही साथ बाहर से समर्थन व्यक्त किया और पश्चिम बंगाल में वामपंथी दलों और कांग्रेस के खिलाफ प्रतिस्पर्धा की। उत्तर प्रदेश में उन्होंने सपा-कांग्रेस गठबंधन के साथ गठबंधन किया और भदोही लोकसभा सीट से TMC का उम्मीदवार उतारा, लेकिन उनकी पार्टी हार गईं। 

बता दें कि, हर साल शहीद दिवस पर, टीएमसी आने वाले साल के लिए अपनी राजनीतिक रणनीति की रूपरेखा तैयार करती है। इस साल, TMC ने 2026 के विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं को जुटाने की योजना की घोषणा की है, जो पश्चिम बंगाल में अपनी राजनीतिक स्थिति को मजबूत करने पर उनके निरंतर ध्यान को दर्शाता है।

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