नई दिल्ली: दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में संविधान दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपने संबोधन के दौरान दलितों और जाति जनगणना पर बात की। इस दौरान अचानक लाइट चली गई, लेकिन जब फिर से लाइट आई, तो राहुल गांधी ने कहा कि चाहे जितनी कोशिश की जाए, वे चुप नहीं रहेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि माइक बंद करने से वह अपनी बात नहीं रोकेंगे।
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर मोदी जी ने संविधान को सही से पढ़ा होता, तो वह जो कर रहे हैं, वैसा नहीं करते। उन्होंने संविधान को सिर्फ एक किताब नहीं, बल्कि एक सोशल एंपावरमेंट का रूप बताया, जो हिंदुस्तान की 21वीं सदी की सोच को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि संविधान में गांधी, फूले और शिवाजी की सोच तो है, लेकिन सावरकर की सोच कहीं नहीं दिखती। यह संविधान सत्य और अहिंसा की किताब है, और इसमें कहीं भी झूठ बोलने या किसी को मारने की बात नहीं है। उन्होंने रोहित वेमुला का उदाहरण देते हुए कहा कि वे भी अपनी बात रखना चाहते थे, लेकिन उन्हें मार दिया गया।
राहुल गांधी ने जाति जनगणना की बात करते हुए कहा कि तेलंगाना में हाल ही में कास्ट सेंसेस शुरू किया गया है, जिसमें लाखों लोग शामिल हुए। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में जहां भी उनकी सरकार बनेगी, वे जाति जनगणना कराएंगे। उनका मानना है कि हिंदुस्तान में 90 प्रतिशत लोग दलित, आदिवासी और पिछड़े वर्ग से आते हैं, लेकिन इनकी भागीदारी बहुत कम है।
राहुल गांधी ने यह भी कहा कि बीजेपी और RSS इस दीवार को मजबूत करने में लगे हैं, जबकि कांग्रेस ने यूपीए सरकार के दौरान दीवार को कमजोर करने की कोशिश की थी। उन्होंने जातीय जनगणना और आरक्षण के दायरे को बढ़ाने की बात की और कहा कि वे इसे लोकसभा में पास करवा कर रहेंगे।
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