प्रयागराज में संगम तट पर महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी 2025 से हुई थी, जो 26 फरवरी 2025 तक चलने वाला है. पौष पूर्णिमा के प्रथम स्नान पर प्रातः 9 बजे तक लगभग 60 लाख श्रद्धालुओं ने गंगा, यमुना और सरस्वती (अदृश्य) नदियों के पवित्र संगम में आस्था की डुबकी लगाते हुए दिखाई दिए. इतना ही नहीं पौष पूर्णिमा तिथि 13 जनवरी प्रातः 5 बजकर 3 मिनट पर शुरू होकर 14 जनवरी को रात्रि 3 बजकर 56 मिनट पर समाप्त हुई.
आखिर क्या था और क्या है स्नान का शुभ मुहूर्त: ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 5:27 मिनट से लेकर 6:21 मिनट तक. विजय मुहूर्त- दोपहर 2:15 मिनट से लेकर 2:57 मिनट तक. गोधूलि मुहूर्त- शाम 5:42 से लेकर शाम 6:09 मिनट तक. निशिता मुहूर्त- रात 12:03 से लेकर रात 12:57 तक रहा था. इतना ही नहीं कुल 45 दिन तक जारी रहने वाले महाकुंभ 2025 में शाही स्नान की 6 प्रमुख तिथियां भी इसमें शामिल है. 13 जनवरी 2025- पौष पूर्णिमा, 14 जनवरी 2025- मकर संक्रान्ति, 29 जनवरी 2025- मौनी अमावस्या, 3 फरवरी 2025- वसंत पंचमी, 12 फरवरी 2025- माघी पूर्णिमा, 26 फरवरी 2025- महाशिवरात्रि भी है.
इस धार्मिक आयोजन की बताई गई है चार श्रेणियां:- कुंभ, अर्ध कुंभ, पूर्ण कुंभ और महाकुंभ. कुंभ हर 12 वारों में चार स्थानों पर हरिद्वार, नासिक, उज्जैन और प्रयागराज में आयोजित किया जाता है. इतना ही नहीं अर्धकुंभ का आयोजन सिर्फ प्रयागराज और हरिद्वार में ही किया जाता है. इन दोनों स्थानों में प्रति 6 वर्ष में एक बार अर्धकुंभ को आयोजित किया जाता है. पूर्ण कुंभ केवल प्रयागराज का आयोजन हर 12 वर्ष में एक बार ही किया जाता है. महाकुंभ बहुत दुर्लभ आयोजन कहा जाता है जो 12 पूर्ण कुंभ यानी 144 वर्षों के पश्चात एक बार ही आयोजित किया जाता है. यह सिर्फ प्रयागराज में संगम तट पर आयोजित किया जाता है.
महाकुंभ के बीच देश और विदेश के विभिन्न भागों से श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने प्रयागराज में संगम तट पर ही जमा होते है. वहीं ये भी कहा जा रहा है कि महाकुंभ में शाही स्नान के भी कई तरह के नियम होते है. सबसे पहले विभिन्न अखाड़ों के नागा साधु संगम में स्नान करते हुए दिखाई देते है, इसके पश्चात ही गृहस्थ लोग स्नानकरते हुए दिखाई देते है. संगम में 5 बार डुबकी लगाना होता है, तभी शाही स्नान पूर्ण कहा जाता है. स्नान के समय साबुन या शैंपू उपयोग नहीं करना होता है, क्योंकि इससे पवित्र जल अशुद्ध हो सकता है.
अगला कुंभ मेला उज्जैन में क्षिप्रा नदी के तट पर वर्ष 2028 में आयोजित किया जाने वाला है, जिसे सिंहस्थ महापर्व भी बोलते है. यह मार्च से मई माह के मध्य आयोजित किया जाने वाला है. उज्जैन में 12 वर्ष के पश्चात कुंंभ का आयोजन किया जाने वाला है. क्षिप्रा, मध्यप्रदेश में बहने वाली भारत की पवित्र नदियों में से एक कही जाती है. इतना ही नहीं द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग उज्जैन नगरी में बसा हुआ है. क्षिप्रा को मालवा की गंगा बोलते है. ऐसा भी कहा जाता है कि क्षिप्रा नदी का स्मरण करने मात्र से मनुष्य के सारे संचित पाप भी पूरी तरह से धुल जाते है और उसे मोक्ष मिल जाता है.
प्रयागराज महाकुंभ में यमुना नदी पर बने पांटून ब्रिज से ऊंटों पर बैठकर जाते है साधु-संत. इतना ही नहीं त्रिवेणी संगम में स्नान के पश्चात एक बुजुर्ग साधु शंखनाद करता हुआ दिखाई देता है. इतना ही नहीं महाकुंभ में देश के कोने-कोने से संत और संन्यासी संगम में स्नान के लिए आने लग जाते है और नदी किनारे एक माह तक कल्पवास करते हैं. वहीं ये भी कहा जाता है कि संगम तट पर आध्यात्म और सनातन संस्कृति का अनुभव करते कुछ विदेशी सैलानी भी नजर आने लगते है.
महाकुंभ में सिर्फ भारतीय ही नहीं बल्कि दुनिया भर के कोने कोने से भी बड़े पैमाने पर लोग यहां आते हैं. केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के अनुसार इस साल प्रयागराज महाकुंभ में 15 लाख के आसपास विदेशी सैलानियों के आने का भी अनुमान लगाया जा रहा है. इतना ही नहीं महाकुंभ 2025 के बीच संगम तट पर तिरंगा लहराते श्रद्धालु. पौषी पुर्णिमा के खास अवसर पर गंगा, यमुना और सरस्वती (अदृश्य) नदियों के पवित्र संगम में एक करोड़ से अधिक लोगों ने डुबकी भी लगा ली है. इतना ही नहीं संगम में स्नान के पश्चात तट पर दीप जलाकर श्रद्धालु नदी की पूजा करते है.
इतना ही नहीं Google play Store पर महाकुंभ 2025 का ऑफिशियल ऐप 'Maha Kumbh Mela 2025' के नाम से शुरू कर दिया गया है. इस ऐप में महाकुंभ से जुड़ी हुई हर बात और सूचना भी आसानी से मिल जाएंगे, इतना ही नहीं इसके साथ ही मेले का पूरा मैप भी है. इसमें घाटों एवं मंदिरों की लोकेशन के साथ शहर के जो प्रमुख स्थल हैं, उनकी भी जानकारी भी दी जा चुकी है.
वहीं यदि आप या कोई भी महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु और पर्यटक त्रिवेणी संगम में स्नान और मेला घूमने के पश्चात प्रयागराज के अन्य पर्यटन और धार्मिक स्थलों पर भी जा सकेंगे. इनमें लेटे हनुमान जी का मंदिर, अक्षयवट, पातालपुरी मंदिर, मनकामेश्वर मंदिर, नागवासुकी मंदिर, शंकर विमानमण्डपम महाकुंभ मेला क्षेत्र के अंतर्गत ही आते हैं. इसके साथ साथशहर में आप चंद्रशेखर आजाद पार्क, स्वराज भवन, खुसरो बाग, निषादराज पार्क इत्यादि स्थानों पर भी घूम सकते है. अच्छी बात तो ये है कि महाकुंभ मेले में साधु-संतों, नागा बाबाओं के अलग-अलग रंग और रूप भी डिझाई देते है. कोई पेशवाई में अपने अनूठे करतब से अभिभूत कर देता है तो कोई अपने अनूठे संकल्पों, प्रणों और हठ योग के कारण चर्चा में है.