नई दिल्ली: आज ही के दिन भारत के इतिहास में 25 जून 1975 में पुरे भारत में आपातकाल लगाने का ऐलान किया गया था, जिसे देश की सियासत का काला अध्याय कहा जाता है। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह सबसे विवादास्पद तथा अलोकतांत्रिक काल था, क्योंकि इस के चलते चुनाव स्थगित कर दिए गए थे तथा लोगों के अधिकारों पर पाबंदी लगा दी गई थी। आज के दिन को याद करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बताया कि भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में आपातकाल को एक ‘काले अध्याय’ के तौर पर जाना जाता है।
भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में आपातकाल एक ‘काले अध्याय’ के रूप में जाना जाता है। देश की लोकतांत्रिक परम्पराओं पर कुठाराघात करने के लिए जिस तरह संविधान का दुरुपयोग हुआ उसे कभी भूला नहीं जा सकता। आज भी वह दौर हम सभी की स्मृतियों में ताज़ा है।
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) June 25, 2021
रक्षा मंत्री ने ट्वीट कर बताया, “देश की लोकतांत्रिक प्रथाओं पर कुठाराघात करने के लिए जिस प्रकार संविधान का दुरुपयोग हुआ उसे कभी भूला नहीं जा सकता। आज भी वह समय हम सभी की यादों में ताजा है। इस के चलते लोकतंत्र की रक्षा के लिए देश में आंदोलन भी हुए और लोगों ने न जाने कितनी यातनायें सहीं। उनके त्याग, साहस तथा संघर्ष को हम आज भी याद करते हैं तथा प्रेरणा प्राप्त करते हैं। लोकतंत्र की रक्षा में जिन व्यक्तियों का भी किरदार रहा है, मैं उन सभी को नमन एवम अभिनंदन करता हूं।”
वही 25 जून 1975 में तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने पुरे भारत में आपातकाल लगाने का आदेश तात्कालीन पीएम इंदिरा गांधी की सिफारिश पर दिया था, जिसने कई ऐतिहासिक घटनाओं को पैदा किया। इस आपातकाल को लेकर इंदिरा गांधी की ओर से ये दलीलें दी गई थीं कि आपातकाल लगाना आवश्यक है, मगर पर्दे के पीछे की कहानी कुछ और ही थी। भारतीय सियासत के इतिहास में यह सबसे विवादस्पद समय रहा, क्योंकि इस के चलते नागरिक अधिकारों को समाप्त करते हुए सरकार के खिलाफ आवाज उठाने वाले प्रत्येक व्यक्ति को जेल में डाल दिया गया था।
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