पहले से थी दंगों की तैयारी! दुर्गा पूजा जुलुस पहुँचते ही टूट पड़े इस्लामी कट्टरपंथी

पहले से थी दंगों की तैयारी! दुर्गा पूजा जुलुस पहुँचते ही टूट पड़े इस्लामी कट्टरपंथी
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लखनऊ: उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के महसी तहसील के महराजगंज कस्बे में मूर्ति विसर्जन के जुलूस के दौरान हिंसा और उपद्रव की घटना सामने आई है। चश्मदीदों के अनुसार, यह पूरी घटना पहले से ही साजिशन तैयार की गई थी। जुलूस के दौरान डीजे को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ, जहां कुछ लोगों ने जुलूस पर पत्थरबाजी की। रिपोर्ट के मुताबिक, मुस्लिम समुदाय के घरों और मस्जिदों की छतों पर पहले से ही पत्थर, कांच की बोतलें और अन्य हथियार रखे हुए थे। इसके साथ ही, घटनास्थल पर इस्लामिक झंडे लहराए गए और भगवा झंडे को तोड़ दिया गया।

 

प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि दोनों तरफ से गलियों में जुलूस को घेर दिया गया, जिससे भीड़ बीच में फंस जाए। जुलूस के साथ चल रहे डीजे वाहन को भी उपद्रवियों ने तोड़ दिया और मां दुर्गा की प्रतिमा को खंडित कर दिया। हिंसा के दौरान तलवार जैसे हथियारों और गोलियों का भी इस्तेमाल किया गया। चश्मदीदों के मुताबिक, यह पूरी घटना एक सोची-समझी साजिश थी, जिसमें हमला करने के लिए पहले से तैयारी की गई थी। घटना के दौरान, मूर्ति विसर्जन के लिए शांति से जा रहे जुलूस पर मुस्लिम पक्ष ने गाली-गलौच शुरू कर दी और छतों से पत्थरबाजी की। इस पत्थरबाजी में मां दुर्गा की प्रतिमा क्षतिग्रस्त हो गई। इसके बाद, स्थानीय लोगों ने प्रदर्शन किया, लेकिन जल्द ही हालात बिगड़ गए, और उपद्रव शुरू हो गया। भगदड़ मचने के दौरान एक युवक, रामगोपाल मिश्रा, की गोली मारकर हत्या कर दी गई।

 

देशभर में दुर्गा पूजा के दौरान ऐसी सांप्रदायिक हिंसा की कई घटनाएं सामने आई हैं। मुस्लिम बहुल इलाकों में दुर्गा विसर्जन जुलूसों पर पथराव और हमले किए गए हैं, जो एक चिंताजनक ट्रेंड की ओर संकेत करते हैं। अक्सर मुस्लिम पक्ष पथराव और हमला करने के बाद जुलुस वालों पर ही आरोप लगाता है कि जुलूस में भड़काऊ नारे लगाए गए या डीजे बजाया गया, जबकि असल में ऐसी घटनाएं सुनियोजित होती हैं।

 

बांग्लादेश में भी हाल के वर्षों में दुर्गा पूजा के दौरान हमले और देवी प्रतिमाओं को तोड़े जाने की घटनाएं सामने आई हैं। कट्टरपंथियों द्वारा ऐसे हमले यह दिखाते हैं कि उन्हें अन्य धर्मों की आस्थाओं से नफरत है। भारत में हालाँकि, संख्या कम है, इसलिए अपने इलाकों में हमले किए जाते हैं, और फिर इल्जाम भी जुलुस वालों पर लगा दिया जाता है, कि भड़काऊ नारेबाजी की गई या DJ बजाया गया। जबकि सच्चाई कुछ और है। बांग्लादेश में हमने देखा है कि किस तरह कट्टरपंथी सरेआम दुर्गापूजा पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे थे। वहां भी देवी प्रतिमाएं तोड़ी गईं, पंडालों पर हमले किए गए, लोगों की हत्या हुई।

 

ये साफ़ दर्शाता है कि कट्टरपंथियों को दूसरे धर्मों के रीति-रिवाजों से नफरत है, वे सीधे-सीधे मूर्ति पूजा को 'कुफ्र' या 'शिर्क' (पाप) भी कहते ही हैं, तो उसे कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं। लेकिन, ये भारत है, यहाँ हर किसी को अपनी आस्था मानने का पूरा अधिकार है, जब भारत में मुहर्रम, या ईद के जुलुस पर एक पत्थर नहीं चलता, तो दुर्गा पूजा, गणेश पूजा, रामनवमी पर हमले क्यों ? सरकार को इस समस्या का समाधान करने के लिए ठोस कानून बनाने की आवश्यकता है, ताकि किसी भी समुदाय को अपनी आस्था का पालन करने में डर न लगे। अगर इसे गंभीरता से नहीं लिया गया, तो इससे कट्टरपंथी ताकतों का मकसद पूरा होगा और देश में दहशत का माहौल पैदा होगा।

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