इंदौर/ब्यूरो। प्रधान आरक्षक अनिता सिंह के रिश्वत लेते पकड़े जाने पर जोन-2 के डीसीपी संपत उपाध्याय ने परदेशीपुरा थाना के टीआइ पंकज द्विवेदी को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है। डीसीपी ने पूछा कि प्रधान आरक्षक ने शिकायतकर्ता से रिश्वत क्यों मांगी। उसके इस कृत्य से विभाग की छवि धूमिल हुई है। दो महीने पूर्व ही प्रधान आरक्षक बनी अनिता सिंह को लोकायुक्त पुलिस ने बुधवार दोपहर दो हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था। अनिता सिंह ने सुभाष नगर निवासी प्रियंका से रुपयों की मांग की थी।
मामले की लोकायुक्त तक शिकायत पहुंची और टीम ने थाने के अंदर ही अनिता को पकड़ लिया। लोकायुक्त की सारी कार्रवाई टीआइ पंकज द्विवेदी के कैबिन में ही हुई। मामले में डीसीपी ने टीआइ से स्पष्टीकरण मांगा और पूरे प्रकरण की परदेशीपुरा एसीपी भूपेंद्रसिंह को जांच सौंप दी। अनिता 12 जून को ही आरक्षक से प्रधान आरक्षक बनी थी। यह था पूरा प्रकरण - सुभाष नगर निवासी सुमन शुक्ला और प्रियंका का पानी भरने की बात पर विवाद हो गया था। सुमन ने देवरानी प्रियंका और देवर सुरेंद्र के खिलाफ मारपीट की शिकायत कर दी थी। प्रधान आरक्षक ने मामले की जांच की। प्रियंका और सुरेंद्र पर दर्ज प्रकरण जमानती था। फिर भी अनिता ने जमानत पर रिहा करने के एवज में पांच हजार रुपये मांगे।
1500 रुपये तो 17 अगस्त को ही ले लिए। 3500 रुपये के लिए धमका रही थी। परेशान होकर प्रियंका ने लोकायुक्त पुलिस से संपर्क साधा। एसपी (लोकायुक्त) एसएस सराफ ने डीएसपी विजय चौधरी की टीम बनाई और अनिता को रंगे हाथ पकड़ने की योजना बनाई। योजना मुताबिक लोकायुक्त पुलिस में पदस्थ निरीक्षक डाली गिरी प्रियंका की ननद बनी और अनिता को रंगे हाथ पकड़ लिया। एसीपी की रिपोर्ट में दूसरा एसआइ भी दोषी - पुलिस विभाग में एक महीने में भ्रष्टाचार का दूसरा मामला सामने आया है, जिसमें लोकायुक्त पुलिस ने ट्रेप करने की कार्रवाई की है। इसके पूर्व लोकायुक्त ने एमआइजी थाने के आरक्षक श्याम जाट, निरेंद्र दांगी को पकड़ा था। इस मामले में एसआइ राम शाक्य भी शामिल मिला था। गुरुवार को एसीपी (परदेशीपुरा) ने जांच रिपोर्ट सौंपी जिसमें एक अन्य एसआइ पीएस टैगोर को भी दोषी बताया।
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