संसद में MSP को लेकर हंगामा कर रहा था विपक्ष, कृषि मंत्री शिवराज ने आंकड़ों के साथ दिया जवाब, पुराने बयान भी दिलाए याद

संसद में MSP को लेकर हंगामा कर रहा था विपक्ष, कृषि मंत्री शिवराज ने आंकड़ों के साथ दिया जवाब, पुराने बयान भी दिलाए याद
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नई दिल्ली: संसद के उच्च सदन राज्यसभा में आज न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के मुद्दे पर जमकर हंगामा मचा। विपक्षी दलों ने इसको लेकर काफी नारेबाज़ी की। समाजवादी पार्टी (सपा) सांसद रामजी लाल सुमन ने पुछा कि सरकार किसानों को MSP कब तक देगी? केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विस्तार से इसका जवाब दिया और कांग्रेस सरकार के दौरान उठी इस मांग के बारे में भी बताया। शिवराज ने कहा कि किसान हमारे लिए भगवान की तरह हैं और उनकी सेवा करना हमारे लिए पूजा करने जैसा है।

कृषि मंत्री ने राज्यसभा में गठित समिति का जिक्र करते हुए कहा कि समिति के तीन उद्देश्य हैं। इसमें पहला तो यह है कि MSP मुहैया कराने और व्यवस्था को पारदर्शी बनाना। दूसरा यह है कि कृषि मूल्य की ज्यादा स्वायत्तता और तीसरा उद्देश्य कृषि वितरण प्रणाली के लिए सुझाव प्रदान किए जाएं। उन्होने कहा कि अब तक 22 बैठकें हो चुकी हैं। समिति की तरफ से जो भी सलाह दी जाएगी, उस पर गौर किया जाएगा। इस पर सपा सांसद बोले कि जलेबी की तरह बात घुमाने की जगह MSP पर सीधा जवाब दो, कब लागू करोगे। इसके जवाब में कृषि मंत्री ने कहा कि MSP के दाम निरंतर बढ़ाए गए हैं, विपक्षी सदस्य बिल्कुल ही बेबुनियाद आरोप लगा रहे हैं।सरकार की छह सूत्रीय रणनीति है।

इस दौरान विपक्ष के सांसदों ने हंगामा करना शुरू कर दिया।  जिस पर कृषि मंत्री ने कहा कि जब सुरजेवाला जी (कांग्रेस) की सरकार हुआ करती थी, उससे दोगुने MSP दिए हैं हमारी सरकार ने।  हम किसान के हित में निरंतर फैसले ले रहे हैं। इसी के साथ चौहान ने किसान सम्मान निधि के साथ-साथ गेहूं-धान की खरीद बढ़ोतरी का भी उल्लेख किया। उन्होने कहा कि सरकार फर्टिलाइजर पर 1 लाख 68 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी प्रदान कर रही है। इसके अलावा सरकार और भी कई सारे कदम उठा रही है। इसके तुरंत बाद कांग्रेस सांसद  रणदीप सिंह सुरजेवाला और विपक्षी के दूसरे सांसदों ने जमकर हंगामा चालु कर दिया। कृषि मंत्री ने नारेबाजी के बीच कहा कि तुअर, मसूर, उड़द का किसान जितना भी उत्पादन करेंगे। सरकार वह सब कुछ खरीदेगी। कृषि मंत्री ने आंकड़े देते हुए बताया कि, बीते 5 वर्षों में किसानों की आमदनी हर साल 4 फीसद के हिसाब से बढ़ी है।  

लेकिन इसके बावजूद विपक्षी सांसदों का हंगामा जारी रहा। तब शिवराज बोले कि,  माननीय सभापति महोदय मुझे इजाजत दीजिए ये केवल राजनीति कर रहे हैं, स्वामी नाथन कमेटी की रिपोर्ट में जब ये कहा गया कि लागत पर 50% मुनाफा देकर समर्थन मूल्य घोषित करना चाहिए कांग्रेस की सरकार ने जब मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे। उन्होंने साफ तौर पर ये कैबिनेट नोट है सदन के सामने रखना चाहता हूँ, इन्होंने ये कहा कि MSP को उत्पादन की भारित औसत लागत से 50% अधिक तय करने की सिफारिश पर कांग्रेस सरकार ने कैबिनेट में ये कहते हुए स्वीकार नहीं किया कि CACP द्वारा प्रासंगिक कारकों की व्यवस्था पर विचार करते हुए एक वस्तुनिष्ठ मानदंड के रूप में MSP की सिफारिश की गई है इसलिए लागत पर कम से कम 50% की वृद्धि निर्धारित करना बाजार को विकृत कर सकता है।* 

उन्होने कांग्रेस नेताओं के बयान याद दिलाते हुए कहा कि, ये कांतिलाल भूरिया जी का जवाब तत्कालीन कृषि मंत्री उन्होंने कहा कि स्वीकार नहीं किया जा सकता। शिवराज ने कह कि, माननीय शरद पवार जी का जवाब जो सरकार में मंत्री थे, उन्होंने भी कहा कि सरकार CACP की सिफारिशों के आधार पर MSP तय करती है और इसलिए पहचानने की अवशयकता है कि उत्पादन लागत और MSP के बीच कोई आंतरिक संबंध नहीं हो सकता और उन्होंने इंकार कर दिया। उसे स्वीकार नहीं किया।

शिवराज सिंह सबके बयानों के कागज़ लेकर सदन में पहुंचे थे, उन्होने एक और नोट दिखाते हुए कहा कि, ये मंत्री के.बी थॉमस का जवाब इस सिफारिश को सरकार ने स्वीकार नहीं किया है क्योंकि MSP की सिफारिश कृषि लागत और मूल्य आयोग द्वारा वस्तुनिष्ठ मानदंड होने के आधार पर प्रासंगिक कारकों के विचार पर की जाती है। शिवराज ने कहा कि, 2010 में कांग्रेस सरकार ने "काउंटर-प्रोडक्टिविटी" का हवाला देते हुए स्वामीनाथन आयोग की इस प्रमुख सिफारिश को खारिज कर दिया और तर्क दिया कि यह बाजार को विकृत कर देगा।

शिवराज सिंह ने विपक्ष को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि, ये किसान के नाम पर माननीय सभापति महोदय केवल राजनीति करना चाहते हैं ये देश को अराजकता में झोंकना चाहते हैं। मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कृषि मंत्री के रूप में कहता हूँ प्रधानमंत्री के नेतृत्व में खेती को लाभ का धंधा बनाने में और किसानों की आमदनी दोगुनी करने में हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। हम दिन-रात काम करेंगे कई फैसले लिए हैं और आगे भी किसान हितैषी फैसले लिए जाते रहेंगे। 

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