महामारी कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन होने से देश में आर्थिक सुस्ती छाई है. लॉकडाउन की वजह से कई लोगों की नौकरी चल गई है, जबकि बहुत लोगों के वेतन में कटौती हुई है. ऐसी स्थिति में नकदी रखने वाले लोग एफडी बदले ओवरड्राफ्ट का विकल्प चुन सकते हैं. यह पर्सनल लोन की तुलना में कम ब्याज दर पर उपलब्ध है.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि फिक्स्ड डिपॉजिट के बदले ओवरड्राफ्ट सुविधाओं में आप कर्जदाता से फिक्स्ड डिपॉजिट मूल्य के 85 फीसद से 95 फीसद तक राशि निकाल सकते हैं. बता दें कि बैंक ओवरड्राफ्ट से निकाली गई वास्तविक राशि पर ही ब्याज लेता है, ओवरड्राफ्ट की पूरी सीमा पर नहीं. आपके द्वारा निर्धारित फिक्स्ड डिपॉजि निवेश पर निर्धारित ब्याज दरों से एक से दो फीसद अधिक ब्याज दर मिलती है. मान लीजिए आपके पास HDFC बैंक की 5.75 फीसद ब्याज के साथ तीन साल की मैच्योरिटी अवधि के साथ 1 लाख रुपये की एफडी है. बैंक इस एफडी पर 85 फीसद की ओवरड्राफ्ट सीमा दे रहा है यानी 85,000 रुपये. आप इस फिक्स्ड डिपॉजिट के बदले ओवरड्राफ्ट लिमिट से 50,000 रुपये निकाल लेते हैं. तो ब्याज केवल 50,000 रुपये की राशि पर देय होगा पूरे 85,000 रुपये पर नहीं.
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जिस पर चार्ज की गई ब्याज दर फिक्स्ड डिपॉजिट दर से दो फीसद अधिक होगी. तो आपको 7.75 (5.75 + 2) प्रति वर्ष के हिसाब से प्रति वर्ष ब्याज का भुगतान करना होगा. एफडी और ब्याज दरों के बदले ओवरड्राफ्ट सीमा बैंक से बैंक में भिन्न हो सकती है.फिक्स्ड डिपॉजिट के बदले ओवरड्राफ्ट सुविधा अगर बुद्धिमानी से उपयोग की जाती है तो आप फिक्स्ड डिपॉजिट निवेश को नकदी किए बिना अपने अल्पकालिक वित्तपोषण की जरूरतों को स्मार्ट तरीके से निपटने में मदद कर सकते हैं. इसलिए यदि आप ऐसे व्यक्ति हैं जिसपर कोरोना महामारी का असर हुआ है और बदकिस्मती से आपकी नौकरी जा चुकी है तो एक फिक्स्ड डिपॉजिट के बदले ओवरड्राफ्ट आपकी अल्पकालिक धन की जरूरतों में मदद करेगा.
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