प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी (Kalashtami) का व्रत रखा जाता है. कालाष्टमी को महादेव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा की जाती है. मान्यता है कि जो काल भैरव की भक्ति करता है उसे शत्रु, रोग, अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता. स्वंय बाबा भैरव उसकी हर संकट में रक्षा करते हैं. ज्येष्ठ माह में कालाष्टमी का व्रत 30 मई को रखा जाएगा. कालाष्टमी पर व्रत रखने एवं काल भैरव की पूजा करने से नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं. वही इस दिन कुछ विशेष उपायों से भैरवनाथ का आशीर्वाद मिलता है और राहु-केतु परेशान नहीं करते...
काल भैरव की पूजा से शांत होंगे शनि;-
कालाष्टमी के दिन भगवान काल भैरव को नारियल, गेरुआ सिंदूर, इमरती, पान चढ़ाएं एवं फिर "ॐ तीखदन्त महाकाय कल्पान्तदोहनम्। भैरवाय नमस्तुभ्यं अनुज्ञां दातुर्माहिसि।" मंत्र का जाप करें. इस विधि से पूजा करने पर शनि (Shan dev), राहु-केतु (rahu ketu)की पीड़ा से मुक्ति प्राप्त होती है. हनुमान जी (Hanuman ji)के अतिरिक्ल काल भैरव ही ऐसे देवता हैं जिनकी उपासना से शीघ्र फल मिलता है.
गृहस्थ जीवन वाले ऐसे करें पूजन
बाबा भैरव के दो स्वरूप है बटुक भैरव और काल भैरव. गृहस्थ जीवन वालों को बटुक भैरव (Batuk bhairav) की आराधना करनी चाहिए. कालाष्टमी के दिन बटुक भैरव कवच का पाठ करें. सर्वत्र विजय प्राप्ति के लिए ये उपाय बहुत फलदायी माना जाता है.
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