जोधपुर: राजस्थान के जोधपुर से एक अनोखी घटना सामने आ रही है यहाँ पेड़ की शादी कराई गई। इसमें बाकायदा लोगों को कार्ड छपवाकर निमंत्रण भेजा गया। दूर-दराज के लोग सम्मिलित हुए। इस शादी में सम्मिलित लोगों ने बाराती की भांति लुत्फ लिया। बता दें कि पीपली के वृक्ष की शादी ठाकुर जी (शालिग्राम) से कराई गई है। जानिए इस अनोखे विवाह की पूरी कहानी...
केतु गांव के लालाराम कुलरिया के परिवार ने पीपल के वृक्ष की शादी का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए हैदराबाद से भी रिश्तेदार पहुंचे। जोधपुर के सरस्वती नगर में एक परिवार वर्ष 2017 से रह रहा है। लालाराम कुलरिया के यहां गमले में पीपल और पीपली के वृक्ष एकसाथ उग आए थे। कुछ वक़्त पश्चात् पौधे बड़े हुए तो परिवार वाले परेशान हो गए, क्योंकि मान्यता है कि घर में पीपल का वृक्ष होना अच्छा नहीं माना जाता और इसे हटा भी नहीं सकते थे। इसी को लेकर उनके मन में विचार आया कि क्यों न पीपली की शादी कर दी जाए। किसी ने बताया था कि पीपल के वृक्ष की शादी का विधान है। वृक्ष जैसे-जैसे बड़े हुए वैसे-वैसे घर के लोगों का इनके साथ अटैचमेंट बढ़ता गया। इसी के पश्चात पूरा परिवार पीपली की शादी की तैयारियों में जुट गया। परिवार के सदस्यों ने शादी की तैयारी की और लगभग 500 से ज्यादा लोगों को कार्ड छपवाकर इनवाइट किया। तय किया गया कि एक बेटी की भांति पीपली की शादी की जाएगी और विदाई होगी।
वही गांव के रहने वाले लालाराम के परिवार के लोगों से बातचीत कर फैसला लिया कि बेटी की भांति पीपली की शादी करवाएंगे। इसलिए पंडित से कुंडली मिलवाई गई। यह शादी गांव से 3 किलोमीटर दूर बने मंदिर में ठाकुर जी से तय की गई। पंडित का कहना है कि कुंडली मिलान कर शादी के लिए बुद्ध पूर्णिमा का दिन तय किया। इस शादी में लालाराम एवं उनकी पत्नी ने कन्यादान की रस्में निभाईं। पीपली के वृक्ष की शादी के लिए कार्ड भी छपवाए गए। रिश्तेदारों को निमंत्रण दिया गया। महिलाओं ने मंगल गीत गाए एवं पीपली के वृक्ष पर हल्दी लगाकर रस्म अदा की गई। घर के पास शादी का मंडप तैयार किया गया, जहां ठाकुर जी के फेरे करवाए गए। शादी में आने वाले लोगों के लिए बारात स्वागत के चलते लापसी, दाल सब्जी एवं पूड़ी की व्यवस्था की गई। शनिवार प्रातः के लिए हलवा, चक्की, पूरी व गट्टे की सब्जी की व्यवस्था की गई। शुक्रवार शाम बारातियों के लिए तो शनिवार प्रातः पूरे गांव के लोगों के लिए भोज की व्यवस्था की गई। कुलरिया परिवार के लोगों ने कहा कि हमारे धर्म में पेड़ पौधों को खास अहमियत दी गई है।
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