पायलटों को भी नए अवसर तलाशने का अधिकार

पायलटों को भी नए अवसर तलाशने का अधिकार
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नई दिल्ली। 6 महिने की नोटिस अवधि से पहले दूसरी एयरलाइन ज्वॉइन करने वाले पायलटों पर कार्रवाई करने व लाइसेंस रद्द करने के दग्सा  के प्रस्ताव का कुछ एयरलाइनों ने विरोध किया है। इनका कहना है कि ये प्रस्ताव नौकरी में नए अवसर तलाशने के पायलटों के अधिकार के अलावा कांट्रैक्ट एक्ट के भी विरुद्ध है। देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो के प्रेसीडेंट आदित्य घोष के मुताबिक पायलटों के एक से दूसरी एयरलाइन में आने-जाने पर अंकुश लगाना ठीक नहीं है। देश में पायलटों की कमी है और इससे हम भी जूझते रहे हैं। इसका यह मतलब नहीं कि पायलटों के हाथ-पांव बांध दिए जाएं।इसी के साथ घोष ने देश में पायलटों के विनियमन एवं लाइसेंसिंग प्रक्रिया पर सवाल उठा दिए हैं।

लिहाजा भारत में भी इसी तरह के प्रावधान लागू करने की जरूरत है। विमानन नियामक DGCA को फर्स्ट ऑफिसर के साथ दो कैप्टन की मौजूदगी के प्रावधान पर भी फिर से विचार करना चाहिए। एयरलाइन ट्रांसपोर्ट पायलट लाइसेंस (ATPL) की वैधता को 2 से 5 साल करना ही काफी नहीं। इसके साथ ही घोष ने पायलटों की डॉक्टरी जांच के नियमों पर भी अंगुली उठाई है और इन्हें व्यावहारिक व सरल बनाए जाने की जरूरत बताई है। अभी अस्थायी रूप से अनफिट रहे किसी पायलट को मेडिकल टेस्ट पास करने के बाद DMS, DGCA की मेडिकल जांच एवं सत्यापन से भी गुजरना पड़ता है।

घोष के मुताबिक इस दूसरे सत्यापन की जरूरत के कारण पायलट को उड़ान सेवा में लेने में कम से कम दो हफ्ते का विलंब होता है। दुनिया भर में केवल पहले मेडिकल टेस्ट की ही मान्यता है। भारत में भी ऐसा ही किया जाना चाहिए। गौरतलब है की पिछले कुछ समय में पायलटों के एक एयरलाइन की नौकरी छोड़कर दूसरी एयरलाइन ज्वॉइन करने की प्रवृत्ति में बढ़ोतरी हुई है। इससे एयर इंडिया और जेट एयरवेज जैसी स्थापित एयरलाइनों को ज्यादा नुकसान हुआ है और प्रशिक्षित कमांडर पायलटों की कमी होने से इनके, खासकर एयर इंडिया के ऑपरेशंस पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है।

 

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