'जिस पॉवर प्रोजेक्ट पर उठ रही उंगलियां, उस पर...', जोशीमठ जा रहीं उमा भारती का आया बड़ा बयान

'जिस पॉवर प्रोजेक्ट पर उठ रही उंगलियां, उस पर...', जोशीमठ जा रहीं उमा भारती का आया बड़ा बयान
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भोपाल: उत्तराखंड के जोशीमठ संकट के बीच मध्यप्रदेश की पूर्व सीएम उमा भारती (Uma Bharti) जोशीमठ के लिए रवाना हो गईं। सोमवार प्रातः उमा भारती हरिद्वार से जोशीमठ के लिए निकलीं। उन्होंने ट्वीट किया कि जिस पॉवर प्रोजेक्ट को लोग इस खतरे के लिए जिम्मेदार बता रहे हैं, उस पर उनके मंत्रालय ने वर्ष 2017 में आपत्ति व्यक्त की थी।

उमा भारती ने एक के पश्चात् एक कई ट्वीट किए हैं। उन्होंने लिखा, ''रात में पतंजलि हरिद्वार में रुक कर सवेरे जोशीमठ के लिए निकल गई। जोशीमठ हम सबके परम गुरु आदि शंकर की तपस्थली है। उन्होंने अपने जीवन काल में सर्वाधिक वक़्त यहीं गुजारा। वैदिक धर्म की पुनर्स्थापना एवं भारतवर्ष की एकता एवं अखंडता की रक्षा की। जोशीमठ के लोग एवं पर्यावरणविद् जोशीमठ के नीचे अलकनंदा/धौलीगंगा पर बन रहे पावर प्रोजेक्ट की टनल को इस हालात के लिए अपराधी ठहरा रहे हैं। हमारे मंत्रालय ने 2017 में ही सर्वोच्च न्यायालय को दिए गए एफिडेविट में इस प्रोजेक्ट पर आपत्ति जताई थी।''

अपने अन्य ट्वीट में उमा भारती ने लिखा, ''पीएमओ में दिनांक 25 फरवरी 2019 को पीएमओ के वरिष्ठतम अफसर की बुलाई गई बैठक में गंगा को संकट में डालने वाले सभी प्रोजेक्ट को लेकर उत्तराखंड के अफसरों को फटकार लगाई थी। पावर प्रोजेक्ट केंद्र के हों या राज्य के, उत्तराखंड की त्रिवेंद्र सिंह रावत की सरकार के वक़्त पर उत्तराखंड के अफसर इन सारे प्रोजेक्ट की अनुमति के लिए दिल्ली के चक्कर काटते रहते थे। अभी 2 वर्ष पहले चिपको आंदोलन की प्रणेता गौरा देवी के गांव रैनी में भी भारी आपदा आई थी, जिसका मलबा इसी टनल में भर गया था।'' आगे उमा ने लिखा कि आपदा की वजह से सैकड़ों मजदूर और NTPC के कई वरिष्ठ अफसरों की मृत्यु हुई थी। अगर यह टनल जोशीमठ के इन हालातों के लिए जिम्मेदार है, तो उस वक़्त की सरकार के मुखिया और इस प्रोजेक्ट पर जल्दी करने के लिए दिल्ली के चक्कर काटने वाले अफसर ही असली अपराधी हैं। अलकनंदा, मंदाकिनी और भागीरथी मिलकर ही देवप्रयाग से गंगा बनती हैं। अलकनंदा, गंगा ही है। हमारे प्रधानमंत्री जी गंगा के लिए परेशान रहते हैं। हमारे पीएम के दफ्तर के निर्देशों की अनदेखी करना, हमारे दिए गए एफिडेविट को भी अहमियत नहीं देना, विभिन्न पर्यावरणविदों की भी अनदेखी करना, इसकी सजा किसको मिलनी चाहिए? उमा भारती ने लिखा है कि आदि शंकर के बचाए गए वैदिक धर्म (हिंदू धर्म) को जोशीमठ एवं उत्तराखंड के वासियों को या उस वक़्त के इस प्रोजेक्ट की वकालत करने वाले लोगों का यह एक यक्ष सवाल है। जोशीमठ के वर्तमान खतरे से जो भी प्रभावित होने वाले हैं, उनके सहयोग के लिए हमारी केंद्र एवं प्रदेश की सरकार बहुत चिंतित है। हम सभी मानव सेवी व्यक्तियों को इसमें आगे आना चाहिए एवं जोशीमठ को बचाया जाना चाहिए। बाकी की बातें जोशीमठ पहुंच कर करूंगी।

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