'प्रधानमंत्री ऐसे काम कर रहे हैं जैसे..', पीएम मोदी पर सोनिया गांधी का तीखा हमला
'प्रधानमंत्री ऐसे काम कर रहे हैं जैसे..', पीएम मोदी पर सोनिया गांधी का तीखा हमला
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नई दिल्ली: 18वीं लोकसभा के पहले सत्र के एक सप्ताह बाद, कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार (28 जून) को कहा कि “इस बात का जरा सा भी सबूत नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनादेश को समझा है और लाखों मतदाताओं द्वारा उन्हें भेजे गए संदेश पर विचार किया है।” एक मीडिया संस्थान के लिए लेख लिखते हुए सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि "प्रधानमंत्री ऐसे काम कर रहे हैं जैसे कुछ बदला ही नहीं है। वे आम सहमति के मूल्य का उपदेश देते हैं, लेकिन टकराव को महत्व देना जारी रखते हैं।" संसद के संचालन के तरीके को लेकर उन्होंने कहा कि "दुखद रूप से 18वीं लोकसभा के पहले कुछ दिन उत्साहवर्धक नहीं रहे।  आपसी सम्मान और सामंजस्य की नई भावना, सौहार्द की बात तो दूर, विकसित होने की कोई भी उम्मीद झूठी साबित हुई है।"

दरअसल, विपक्ष ने शुक्रवार को संसद में दोनों सदनों में NEET को लेकर हंगामा किया, जिसके बाद लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही को सोमवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने स्पीकर ओम बिरला से नीट पर चर्चा की मांग की थी, इस पर अध्यक्ष ने कहा था कि, आप राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव में किसी भी विषय पर बोल सकते हैं, आपको अनुमति है। हालाँकि, इसके बाद भी हंगामा जारी रहा। राहुल गांधी ने स्पीकर से दो मिनट मांगे, जिस पर स्पीकर ने कहा कि, आप अपनी पार्टी का पूरा टाइम ले सकते हैं, आप संसदीय मर्यादाओं का पालन करते हुए पूरे डिटेल में बोलिए। दरअसल, परंपरा और संसदीय प्रक्रियाओं के मुताबिक, संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ सत्र शुरू होता है, जिसके बाद, लोकसभा और राज्यसभा राष्ट्रपति के अभिभाषण के लिए अलग-अलग धन्यवाद प्रस्ताव पारित करती हैं और फिर बाकी कार्यवाही आगे बढ़ती है। ओम बिरला यही कह रहे थे कि, धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान आप किसी भी मुद्दे पर बोल सकते हैं, लेकिन विपक्ष NEET को लेकर नारेबाजी करता रहा और आखिरकार सदन स्थगित हो गया। 

हालाँकि, इस दौरान एक और घटना हुई है, जो गौर करने वाली है, क्योंकि इसी तरह की एक घटना के कारण संसद में विपक्ष ने जमकर हंगामा किया था। दरअसल, गत वर्ष मानसून सत्र से ठीक पहले मणिपुर में दो महिलाओं को नग्न करके पीटे जाने का वीभत्स वीडियो सामने आया था, हालाँकि वो वीडियो कुछ महीने पुराना था, किन्तु उस मुद्दे को लेकर विपक्ष ने संसद में जमकर हंगामा किया था और कई दिनों तक सदन की कार्यवाही बाधित हुई थी, राहुल गांधी समेत विपक्ष के कई नेता जेट बुक करके वहां गए भी थे। हालाँकि, परसों ही बंगाल में ठीक इसी तरह की घटना घटी है। बंगाल में एक मुस्लिम महिला रोशनआरा खातून को नग्न करके एक घंटे तक पीटा गया, बीच सड़क पर काफी दूर तक घसीटा गया, क्योंकि महिला ने भाजपा का समर्थन किया था। हालाँकि, इस मुद्दे पर किसी सांसद की नज़र नहीं गई। ये संसद में निष्पक्ष रूप से उठाए जाने वाले मुद्दों पर सवाल खड़े करता है? क्या सदन केवल हंगामा करके सरकार को घेरने के लिए है ? या लोगों की समस्या का चर्चा करके सार्थक समाधान निकालने के लिए ? बहरहाल, सोनिया गांधी ने अपने आर्टिकल में दावा किया है कि, INDIA ब्लॉक की पार्टियां टकराव वाला रवैया नहीं अपनाना चाहती हैं।  

 

उन्होंने लिखा कि, 'INDIA ब्लॉक की पार्टियों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वे टकराव वाला रवैया नहीं अपनाना चाहते हैं। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सहयोग की पेशकश की है। गठबंधन के घटक दलों के नेताओं ने स्पष्ट कर दिया है कि वे संसद में उत्पादक होने और इसकी कार्यवाही के संचालन में निष्पक्षता चाहते हैं।' सोनिया गांधी ने आगे कहा कि, "हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री और उनकी सरकार सकारात्मक प्रतिक्रिया देगी। शुरुआती सबूत अच्छे नहीं हैं, मगर हम विपक्ष में संसद में संतुलन और उत्पादकता बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उन लाखों लोगों की आवाज़ सुनी जाए जिन्होंने हमें अपने प्रतिनिधियों के रूप में वहां भेजा है और उनकी चिंताओं को उठाया और संबोधित किया जाए। हम उम्मीद करते हैं कि सत्ता पक्ष आगे आएगा ताकि हम अपने लोकतांत्रिक कर्तव्यों को पूरा कर सकें।" 

अल्पसंख्यकों पर भी बोलीं सोनिया गांधी :-

उन्होंने कहा कि, "भारत के अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और धमकी का अभियान एक बार फिर तेज हो गया है। भाजपा शासित राज्यों में, बुलडोजर फिर से महज आरोपों के आधार पर अल्पसंख्यकों (मुस्लिमों) के घरों को ध्वस्त कर रहे हैं, उचित प्रक्रिया का उल्लंघन कर रहे हैं और सामूहिक दंड दे रहे हैं। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री ने चुनाव प्रचार के दौरान लोगों पर सांप्रदायिक गाली-गलौज और सरासर झूठ बोला, जिसे देखते हुए यह सब आश्चर्यजनक नहीं है। उन्होंने इस डर से भड़काऊ बयानबाजी की थी कि चुनाव उनके हाथ से निकल रहा है, जिससे उनके पद की गरिमा और मर्यादा का पूरा अनादर हुआ।"

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