नई दिल्ली: चुनावी बॉन्ड के माध्यम से सियासी दलों को मिलने वाले चंदा के मामले पर शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह 6 दिसंबर को इस पर गौर करेगा कि मौजूदा कानून को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुनवाई के लिए बड़ी बेंच के पास भेजा जाए या नहीं। न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्न की बेंच ने यह भी कहा कि यह बेहद अहम मामला है और कोर्ट ने इस पर अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से सहयोग मांगा।
केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत के सामने कहा कि चुनावी बॉन्ड के माध्यम से चंदा हासिल करने का तौर-तरीका बिलकुल पारदर्शी है। चुनावी बॉन्ड को सियासी दलों को मिलने वाले चंदे में पारदर्शिता लाने की कोशिश के तहत नकदी चंदे के विकल्प के रूप में लाया गया है। सुप्रीम कोर्ट एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR), CPM और कुछ अन्य याचिकाकर्ताओं की तरफ से दाखिल की गई जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
ADR की तरफ से पैरवी कर रहे वकील प्रशांत भूषण ने 5 अप्रैल को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण के सामने इस मामले को रखा था। उन्होंने कहा था कि यह बेहद महत्वपूर्ण विषय है और इस पर फ़ौरन सुनवाई होनी चाहिए।
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