​इन जगहों पर ज्यादा रहता है हार्ट अटैक का खतरा, स्टडी में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

​इन जगहों पर ज्यादा रहता है हार्ट अटैक का खतरा, स्टडी में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
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नई दिल्ली: भारत को 'गांवों का देश' बोला जाता है क्योंकि यहां पर अधिकतर आबादी ग्रामीण क्षेत्रों मे बसती है, किन्तु बीते कुछ दशकों में रोजगार एवं उच्च शिक्षा पाने के लिए युवाओं का पलायन महानगरों की ओर बहुत अधिक हुआ है। मेट्रोपॉलिटन सिटीज की चकाचौंध हर किसी को अपनी ओर आकर्षिक करती है, किन्तु व्यस्त जीवनशैली की वजह से हम यहां रहने के नुकसान के बारे में गौर नहीं कर पाते। हमने अक्सर सुना है कि ये शहर जितना हमें देता है उससे कहीं अधिक छीन लेता है। हम बात कर रहे हैं उस बड़े नुकसान जो शहरों रहने के कारण होता है।

वही यदि ट्रैफिक से भरी सड़कों और भीड़-भाड़ वाले स्थानों के आसपास आपका घर है तो इससे स्वास्थ्य को काफी नुकसान हो सकता है। कुछ वर्ष पूर्व किए गए एक अध्ययन में ये बात सामने आई थी कि अधिक शोरगुल से हार्ट अटैक का खतरा कई गुणा बढ़ जाता है। एक्सपर्ट्स ने ये भी बताया कि एरोप्लेन की आवाज के मुकाबले रोड तथा रेल ट्रैफिक की आवाज से स्वास्थ्य खराब एवं दिल की बीमारियों का खतरा अधिक होता है

वही ये शोध जर्मनी के ड्रेस्डन यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी में की किया। जो ‘डॉएच्च अर्जतेबलात इंटरनेशनल’ नाम की एक रिसर्च मैग्जीन में प्रकाशित हुई थी। इसके शोधकर्ता आंद्रियास सिडलर तथा उनके को-राइटर ने 40 वर्ष की आयु के 10 लाख से अधिक स्वास्थ्य बीमा कंपनियों से प्राप्त हुई जानकारियों को खंघाला। इस शोध में राइन-मेन क्षेत्र में रहने वाले व्यक्तियों के आसपास के रोड, रेलवे और ट्रैफिक की आवाज का वर्ष 2005 में मुआयना किया। फिर वर्ष 2014-15 में दिल का दौरा पड़ने से जान गंवाने वाले लोगों से जुड़ी इंफॉरमेशन का इन दोनों शोधों में अध्ययन किया। इस अध्ययन में उन्होंने गाड़ियों के शोरगुल एवं हार्ट अटैक के बीच कनेकेशन पाया।

एरोप्लेन की आवाज का खतरा कम:-
इस अध्ययन के बाद दोनों विशेषज्ञ इस परिणाम पर पहुंचे कि है कि विमानों की वजह से होने वाला शोरगुल कम नुकसान पहुंचाता है, क्योंकि ये आवाज 65 डेसिबल से अधिक की नहीं होती, वहीं ट्रैफिक का शोर हमारे स्वास्थ्य को काफी नुकसान पहुंचाता है। इसलिए जहां तक संभव तो इन आवाजों से दूर रहने का प्रयास करें क्योंकि ये आपके दिल के लिए बिलकुल भी अच्छा नहीं है।

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