एक व्यक्ति किसी फकीर के पास साधना सीखने गया। फकीर की चारों ओर बहुत ख्याति थी। उनके आशीर्वाद से बीमार स्वस्थ हो जाते थे और लोगों की परेशानियां दूर हो जाती थीं। दूर-दूर से पीडि़त लोग उनके यहां आते, दुआएं मांगते और प्रसन्न होकर जाते। जब वह आदमी फकीर के पास पहुंचा तो देखा कि फकीर एक टोकरी में से दाना निकालकर पक्षियों को चुगा रहे थे। उन्हें चुगते देख कर वे बच्चों की तरह खुश हो उठते थे।
इस तरह लंबा समय बीत गया। न फकीर ने उस व्यक्ति की ओर देखा और न दाना चुगाना बंद किया। वह फकीर की ओर बढ़ा। उसे सामने देखते ही फकीर ने टोकरी उसके हाथों में थमा दी और कहा, अब तुम पक्षियों के साथ आनंद का अनुभव करो। वह व्यक्ति सोचने लगा, यहां तो मैं इनसे आध्यात्मिक साधना का रहस्य जानने आया हूं और ये हैं कि मुझे पक्षियों को दाना चुगाने को कह रहे हैं।
फकीर ने उसके मन की बात पढ़ ली। वह बोले, स्वयं की परेशानियों को भूल कर दूसरों को आनंद पहुंचाने का प्रयत्न ही जीवन की हर सिद्धि और आनंद का राज है। यदि तुम स्वयं सुख और आनंद पाना चाहते हो, तो वही दूसरे को भी देना सीखो।
किसी भी चीज का अहंकार उचित नहीं
मनुष्य की असली पहचान उसके कर्मों से होती है
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