इस्लामाबाद: पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के डेरा इस्माइल खान जिले में एक चेक पोस्ट पर हुए हमले में 10 पुलिसकर्मियों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस हमले की जिम्मेदारी तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने ली है, जिसमें 7 अन्य जवान भी घायल हुए हैं।
TTP ने इस हमले को अपने सरगना उस्ताद कुरैशी की हत्या का बदला बताते हुए दावा किया कि कुरैशी की मौत पाकिस्तानी सेना के एक अभियान में हुई थी, जो अफगानिस्तान की सीमा से लगे बाजौर जिले में चलाया गया था। रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 20 से 25 TTP के आतंकवादियों ने फ्रंटियर कांस्टेबुलरी की सुरक्षा पोस्ट पर हमला किया, जो एक घंटे तक चला। इस हमले में कई लोगों की जान गई।
यह घटनाक्रम पाकिस्तान के लिए एक गंभीर संकेत है, क्योंकि यह दर्शाता है कि उसने आतंकवाद के प्रति जिस तरह का रुख अपनाया, उसका परिणाम अब उसे भुगतना पड़ रहा है। 1947 में भारत से अलग होकर एक मुस्लिम देश बनने के बाद, पाकिस्तान ने आतंकवाद को अपने रणनीतिक हितों के लिए पाला और उसे बढ़ावा दिया। आज, वही आतंकवाद उसकी सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बन गया है। यह घटनाएं स्पष्ट रूप से इस बात की ओर इशारा करती हैं कि पाकिस्तान अपनी ही करनी का फल भुगत रहा है, और आतंकवाद की यह समस्या अब उसके लिए एक बड़े संकट का रूप ले चुकी है।
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