प्रयागराज: संग्रामनगरी प्रयागराज आध्यात्मिक ऊर्जा और उत्साह से भर चुकी है, क्योंकि बहुप्रतीक्षित महाकुंभ मेला करीब आ रहा है। साधु-संतों के आगमन से कुंभ क्षेत्र की रौनक बढ़ गई है। भगवा वस्त्र पहने और भस्म से लिपटे महानिर्वाणी अखाड़े के साधु डमरू बजाते और हर हर महादेव का जाप करते हुए शिविरों में पहुंचे। घोड़ों पर सवार साधुओं का ये जुलूस देखने लायक था।
अटल अखाड़े के संत भी भव्य जुलूस के साथ शिविर पहुंचे। फूल मालाओं से उनका स्वागत हुआ। घोड़ों पर सवार संत, ढोल-नगाड़ों की गूंज, और अखाड़े के झंडों के साथ उनका प्रवेश एक भव्य दृश्य प्रस्तुत कर रहा था। कई अखाड़ों के संत पहले ही शिविर में पहुंच चुके हैं। अटल अखाड़े के आचार्य विश्वानंद सरस्वती ने कहा कि कुंभ मेला सभी को एकता का संदेश देता है। उन्होंने सभी से यहां आकर इस एकता का अनुभव करने और इसे अपने देशों में फैलाने का आग्रह किया।
2019 के कुंभ में शामिल रहे आध्यात्मिक गुरु जगद्गुरु नरेंद्राचार्यजी महाराज ने इस बार की व्यवस्था की सराहना की। उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री योगी जी ने बेहतरीन व्यवस्था की है। मैं 2019 के कुंभ में था, और इस बार की व्यवस्था पहले से काफी बेहतर है। मेरा आशीर्वाद मुख्यमंत्री के साथ है।" उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि महाकुंभ के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि प्रयागराज के दिव्य और भव्य कुंभ मेले में जरूर आएं। राज्य के मंत्री जेपीएस राठौर ने बताया कि इस बार मेले में 45 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। उन्होंने यह भी बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साधु-संतों से चर्चा कर 'शाही स्नान' को 'अमृत स्नान' नाम दिया है।
महाकुंभ मेले का आयोजन हर 12 साल में एक बार होता है। इस बार यह 13 जनवरी से शुरू होकर 26 फरवरी तक चलेगा। शाही स्नान, जो मुख्य स्नान अनुष्ठान हैं, मकर संक्रांति (14 जनवरी), मौनी अमावस्या (29 जनवरी), और बसंत पंचमी (3 फरवरी) को होंगे। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर इस बार खास प्रबंध किए गए हैं। उत्तर प्रदेश पुलिस ने पानी के नीचे ड्रोन और 2,700 एआई-सक्षम कैमरे लगाए हैं। पुलिस महानिरीक्षक राजीव नारायण मिश्रा ने बताया कि मेले को सुरक्षित और सुचारू बनाने के लिए नई तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। अतिरिक्त मेला अधिकारी विवेक चतुर्वेदी ने कहा कि महाकुंभ 2025 के तहत सभी परियोजनाओं को डिजिटल किया गया है।
इसके अलावा, उत्तर प्रदेश का संस्कृति विभाग प्रयागराज में 20 छोटे मंच स्थापित कर रहा है, जहां 45 दिनों तक देश की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित किया जाएगा। इन मंचों पर विभिन्न राज्यों के लोक नृत्य प्रस्तुत किए जाएंगे, जिससे पर्यटक और श्रद्धालु भारतीय संस्कृति का आनंद ले सकें। प्रयागराज महाकुंभ इस बार न केवल भक्ति, बल्कि तकनीकी और सांस्कृतिक विविधता का संगम बनकर उभरेगा।