शिमला: हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विधानसभा के मानसून सत्र के तीसरे दिन राज्य की वित्तीय स्थिति पर बयान दिया। मुख्यमंत्री ने दावा किया कि केंद्र सरकार से मिलने वाली राशि राज्य को नहीं मिली है। बयान में कहा गया है कि, "राज्य की वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं है। इसके कई कारण हैं। राजस्व घाटा अनुदान जो 8,058 करोड़ रुपये था, उसे घटाकर 6258 करोड़ रुपये कर दिया गया है। अगले साल यानी 2025-26 में इसे 3000 करोड़ रुपये घटाकर 3257 करोड़ रुपये कर दिया जाएगा।"
सीएम सुक्खू ने दावा किया कि PDNA के करीब 9042 करोड़ रुपये में से केंद्र सरकार ने राज्य को कोई राशि नहीं भेजी है। बयान में कहा गया है कि PDRDA से NPSस अंशदान की राशि राज्य सरकार को नहीं मिली है। इसके अलावा, सीएम का दावा है कि राज्य के लिए जीएसटी मुआवजा 2022 के बाद बंद कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि, "PFRDA से लगभग 9,200 करोड़ रुपये का एनपीएस योगदान केंद्र सरकार से प्राप्त नहीं हुआ है। 2022 से जीएसटी मुआवजा रोक दिया गया है, और इस वजह से राज्य के लिए लगभग 2500-3000 रुपये कम हो गए हैं। ओपीएस की वजह से राज्य की उधारी भी लगभग 2000 करोड़ रुपये कम हो गई है। इन समस्याओं से आगे निकलना आसान नहीं है।"
एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए, सुक्खू ने पिछली भाजपा राज्य सरकार पर भी निशाना साधा और कहा कि, "राज्य की स्थिति अच्छी नहीं है, और अगर कोई इसके लिए जिम्मेदार है, तो वह पिछली भाजपा सरकार है। उन्हें 15 वें वित्त आयोग के अनुसार राजस्व घाटा अनुदान से लगभग 10,000 करोड़ रुपये मिले थे, और तब से यह अनुदान कम हो रहा है।" मुख्यमंत्री ने कर्मचारियों के वेतन और भत्तों में देरी की घोषणा करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स का भी सहारा लिया। उन्होंने एक्स में एक पोस्ट में कहा, "हमने राज्य के आर्थिक हितों के लिए एक निर्णायक कदम उठाया है। हमें हमेशा अपने व्यक्तिगत लाभ से पहले राज्य के उज्ज्वल भविष्य को प्राथमिकता देनी चाहिए। मुझे पूरा विश्वास है कि आप सभी माननीय जनप्रतिनिधि भी इस नेक काम में हमारे साथ शामिल होंगे और अपने वेतन-भत्तों को स्थगित करने के इस महत्वपूर्ण निर्णय का स्वेच्छा से समर्थन करेंगे। यह न केवल हमारी जिम्मेदारी है, बल्कि राज्य के प्रत्येक नागरिक के प्रति हमारी सच्ची सेवा और निष्ठा का प्रतीक भी होगा।"
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