यावतमल: 22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर का उद्घाटन होना है। इस कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी मौजूद रहेंगे। उससे पहले महाराष्ट्र के यावतमल जिले में एक अनोखे मंदिर का जीर्णोद्धार करवा दिया गया है। मंदिर को अब बेहद भव्य रूप दे दिया गया है। विशेष बात यह है कि इस मंदिर में सीता जी की मूर्ति बिना श्री राम के है। दरअसल, इस मंदिर में सीता माता को वनवास गमन के पश्चात् की स्थिति में दिखाया गया है। उनके साथ लव और कुश भी मौजूद हैं। शायद यह ऐसा इकलौता ही मंदिर है जहां बिना राम-लक्ष्मण के सीता जी की प्रतिमा है तथा उन्हीं की पूजा होती है। यहां के लोगों का कहना है कि यह मंदिर ममत्व का परिचायक है।
7 नवंबर को जीर्णोद्धार के पश्चात् इस मंदिर में दोबारा प्रतिमा स्थापित की गई तथा प्राण प्रतिष्ठा की गई। सदियों पुराने इस मंदिर की प्रतिमा भी जर्जर हो गई थी। अब पुरानी प्रतिमा को हटाकर नई प्रतिमा भी स्थापित की गई है। शेटकारी संगठन के एक किसान नेता वामनराव चातप ने कहा, एक तरफ सारा ध्यान अयोध्या की तरफ है तथा दूसरी ओर हमने सीता जी के मंदिर को पुनः बनवा दिया है। इस संगठ के संस्थापक शरद जोशी ने इस मंदिर की विशेषता को 2001 में सार्वजनिक तौर पर रखा था तथा एक तस्वीर जारी की थी जिसमें सीता माता का सिंगल मदर के तौर पर दिखाया गया था।
चातप ने कहा, हम इस मंदिर से प्रेरणा लेते हैं। यहां से पता चलता है कि एक मां में कितनी शक्ति होती है। इस मंदिर को इसीलिए दोबारा बनाया गया क्योंकि य साहस का प्रतीक है। यह सभी सिंगल मदर्स के लिए एक प्रेरणा भी है। विशेष तौर पर किसान परिवारों में जो विधवाएं हैं. यह उनको शिक्षा देता है। बता दें कि देश में सीता जी के कई मंदिर हैं मगर लवकुश के साथ इसी मंदिर में उनकी प्रतिमा है। अयोध्या में भी एक सीतामंदिर है जिसे भव्य रूप दिया जा रहा है। वाराणसी के अस्सी घाट में भी एक सीता जी का मंदिर है। बारिश के मौसम में यह मंदिर पानी से ही घिरा रहता है। यहां भी सिर्फ सीता जी की ही प्रतिमा विराजमान है। कहा जाता है कि सीता जी यहीं से धरती में समा गई थीं। इस मंदिर का निर्माम 17वीं शताब्दी में करवाया गया गया था। वहीं मध्य प्रदेश के अशोकनगर जिले के मुंगावली में एक सीता जी का मंदिर है। मान्यता है कि यहीं लव कुश का जन्म हुआ था।
येदियुरप्पा के बेटे को भाजपा ने बनाया कर्नाटक इकाई का अध्यक्ष, कांग्रेस ने 'वंशवाद' बताकर कसा तंज