नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय राजद्रोह की धारा का परीक्षण करने के लिए तैयार हो गया है. शीर्ष अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धारा 124 ए की वैधता की जांच करने का निर्णय लिया है. न्यायमूर्ति यूयू ललित, न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ की तीन जजों वाली पीठ ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है. दो पत्रकारों की याचिका पर शीर्ष अदालत ने नोटिस जारी किया है, जिसमें बोलने अभिव्यक्ति की आज़ादी का उल्लंघन बताते हुए इस प्रावधान को चुनौती दी गई थी.
बता दें बिना सोचे-समझे राजद्रोह कानून के तहत केस दर्ज करने के आरोपों से जूझने वाली मोदी सरकार ने बीती 17 मार्च को राज्यसभा में संकेत दिया था कि वह राजद्रोह सहित भारतीय दंड संहिता में भी सुधार के लिए राजी है. राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान गृह राज्य मंत्री जी. किशन रेड्डी ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि सरकार ने राजद्रोह कानून (IPC की धारा 124-ए) सहित भारतीय दंड संहिता (IPC) और भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CPRC) के प्रावधानों में सुधार पर सुझाव देने के लिए परामर्श समिति गठित की है.
इस समिति का अध्यक्ष नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी दिल्ली के कुलपति को बनाया गया है. वहीं जी किशन रेड्डी ने कहा कि मोदी सरकार ने ही देश में राजद्रोह से संबंधित मामलों के आंकड़े अलग से रखने आरंभ किए. इससे पहले की सरकार ने इन्हें IPC में दर्ज मामलों के तहत ही रखा.
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