नई दिल्ली: देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि देश में मध्यस्थता (Arbitration) पर पूरी तरह से सेवानिवृत्त न्यायाधीशों का कब्जा है। उन्होंने कहा है कि, इस क्षेत्र में अन्य प्रतिभाशाली लोगों को आगे आने का अवसर नहीं मिल पा रहा है। यह एक ‘ओल्ड बॉयज क्लब’ जैसा है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने ये बातें इंटरनेशनल चेंबर ऑफ़ कॉमर्स के एक कार्यक्रम में कही, जो कि मध्यस्थता पर आयोजित किया गया था।
धनखड़ ने कहा कि पूरे विश्व में ऐसा कहीं भी नहीं होता है, सिवाय भारत के। हालाँकि, उपराष्ट्रपति ने इस दौरान भारत के मुख्य न्यायधीश (CJI) डीवाई चन्द्रचूड़ की प्रशंसा भी की। वे व्यापारिक विवाद को मध्यस्थता के माध्यम से सुलझाने पर बात कर रहे थे। बता दें कि देश में आपसी विवादों को मध्यस्थता के माध्यम से हल करने के लिए हाल ही में एक कानून भी संसद में लाया गया था। उपराष्ट्रपति का कहना था कि भारतीय इकॉनमी तेजी से आगे बढ़ रही है, ऐसे में विवाद बढ़ेंगे जिसका आसानी से सुलझना जरूरी है।
उपराष्ट्रपति ने इस कार्यक्रम में कहा कि, 'इस पूरी पृथ्वी पर, कहीं किसी देश में, किसी भी व्यवस्था में मध्यस्थता के सिस्टम पर रिटायर्ड जजों ने इस प्रकार से मुट्ठी बाँध कर कब्जा नहीं किया हुआ है। हमारे देश में यह काफी बड़े स्तर पर हो रहा है।' कार्यक्रम में देश के CJI डीवाई चन्द्रचूड़ की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि, 'मैं उनके इस स्पष्ट कथन के लिए उन्हें सलाम करता हूँ।' बता दें कि फरवरी 2023 में CJI चन्द्रचूड़ ने खुद भी इस पर चिंता जाहिर की थी। उनका कहना था कि मध्यस्थता के मामलों में सेवानिवृत्त न्यायाधीशों का कब्जा है।
CJI ने कहा था कि, 'यदि देश की विधिक व्यवस्था को ‘ओल्ड बॉयज़ क्लब’ के टैग से बाहर निकलना है तो उन्हें इस व्यवस्था में विविधता लानी होगी। इस सिस्टम में जजों के अतिरिक्त भी अन्य क्षेत्रों के महिलाओं और पुरुषों को शामिल करना होगा।' इसी सिस्टम पर चिंता व्यक्त करते हुए उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि जब कोई मामला अदालत में अधिक दिन फँसता है, तो वकीलों का फायदा होता है, मगर यह फायदा देश के फायदे की कीमत पर नहीं होना चाहिए। उपराष्ट्रपति धनखड़ ने कहा कि, 'हमें एक ऐसा सिस्टम चाहिए, जो मजबूत और किफायती हो।' बता दें कि वर्ष 2016 में आई एक रिपोर्ट से पता चला था कि देश के सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त हुए अंतिम 100 जजों में से 70 जजों ने कोई ना कोई पद दोबारा ले लिया है। इनमें देश के विभिन्न ट्रिब्यूनल, कमिटी से लेकर लोकायुक्त और गवर्नर जैसे पद शामिल हैं।
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