स्कूल में प्रिंसिपल संग आपत्तिजनक हालत में थी शिक्षिका, वायरल हुआ शर्मनाक Video

स्कूल में प्रिंसिपल संग आपत्तिजनक हालत में थी शिक्षिका, वायरल हुआ शर्मनाक Video
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जयपुर: राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले से एक बेहद शर्मनाक घटना सामने आई है, जिसने शिक्षा व्यवस्था और शिक्षकों की गरिमा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। गंगरार ब्लॉक के सालेरा गांव स्थित सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय के दो शिक्षकों का एक आपत्तिजनक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। इस वीडियो के वायरल होने के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया। जिला शिक्षा अधिकारी राजेंद्र कुमार शर्मा ने त्वरित कार्रवाई करते हुए दोनों शिक्षकों को निलंबित कर दिया है।

मिली जानकारी के अनुसार, ये वीडियो पिछले एक महीने के भीतर रिकॉर्ड किए गए थे, लेकिन शिक्षा विभाग ने इस पर कार्रवाई अब जाकर की है। वीडियो में स्कूल के प्रिंसिपल और एक महिला शिक्षक को आपत्तिजनक स्थिति में देखा गया, जिससे ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। बताया जा रहा है कि गांववालों को इन शिक्षकों पर पहले से ही शक था। जब उनकी शिकायतों को नजरअंदाज कर दिया गया, तो ग्रामीणों ने खुद इस मामले की सच्चाई उजागर करने के लिए गुप्त रूप से सीसीटीवी कैमरे लगवाए। 

वीडियो सामने आने के बाद शिक्षकों के कथित अवैध संबंधों की पुष्टि हो गई। यह भी पता चला है कि इस तरह की हरकतों की चर्चा गांव में पहले से हो रही थी, लेकिन शिक्षा विभाग ने ग्रामीणों की शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया। अब यह सवाल उठ रहा है कि आखिरकार शिक्षा विभाग ग्रामीणों की बातों को क्यों अनसुना करता रहा? क्या इस लापरवाही की जिम्मेदारी केवल दोषी शिक्षकों की है, या फिर शिक्षा विभाग को भी इसका जवाब देना चाहिए? 

घटना के बाद ग्रामीणों ने जोर देकर मांग की कि इन शिक्षकों को तुरंत स्कूल से हटाया जाए। उन्होंने कहा कि यह घटना न केवल बच्चों की पढ़ाई पर बुरा असर डालती है, बल्कि शिक्षा क्षेत्र की प्रतिष्ठा को भी धूमिल करती है। शिक्षा विभाग ने अब जाकर आरोपी शिक्षकों में से एक को मुख्यालय से अटैच करने का आदेश दिया है, लेकिन सवाल यह है कि इतने संवेदनशील मामले में यह कदम पर्याप्त है या नहीं? 

ग्रामीणों का आक्रोश यह बताता है कि ऐसी घटनाएं समाज पर कितनी गहरी छाप छोड़ती हैं। सरकारी स्कूलों के शिक्षकों से बच्चों के भविष्य को संवारने की उम्मीद की जाती है, लेकिन जब वे खुद ऐसी हरकतों में लिप्त पाए जाते हैं, तो यह व्यवस्था के प्रति विश्वास को कमजोर करता है। इस मामले ने न केवल शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि यह भी दर्शाया है कि समय पर कार्रवाई न करना कितनी बड़ी समस्या को जन्म दे सकता है। अब देखना यह है कि विभाग इस घटना से क्या सबक लेता है और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए भविष्य में क्या कदम उठाए जाते हैं।

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