हैदराबाद: तेलंगाना उच्च न्यायालय ने बीते बुधवार को राज्य सचिवालय के भवनों को गिराने पर लगी अस्थायी रोक को 16 जुलाई तक के लिए यानी आज तक के लिए बढ़ा दिया है. आपको बता दें कि बीते कल मुख्य न्यायाधीश राघवेंद्र सिंह चौहान और न्यायमूर्ति बी विजयसेन रेड्डी की खंडपीठ ने 10 जुलाई को प्रोफेसर पी एल विश्वेश्वर राव और डॉ चेरुकु सुधाकर की याचिका पर सुनवाई कर दी है. वहीं आपको पता ही होगा कि खंडपीठ ने पहले 10 जुलाई की सुनवाई में भवन को ढहाने पर 13 जुलाई तक के लिए मनाही कर दी थी. उसके बाद रोक को आगे बढ़ा दिया गया था जो 15 जुलाई तक के लिए था. वहीं उसी के बाद सरकार को एक सीलबंद लिफाफे को दिया गया था.
बताया जा रहा है इस बारे में राज्य मंत्रिमंडल के प्रस्ताव को पेश करने का निर्देश पारित किया गया था. अब खबर है कि याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया कि 'लगभग 10 लाख वर्ग फुट में बने 10 ब्लॉक वाले वर्तमान सचिवालय परिसर को ढहाने का काम कानून की निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना किया जा रहा है.' इसी के साथ ही याचिकाकर्ताओं ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार का कदम निर्माण एवं विध्वंस अपशिष्ट प्रबंधन नियम 2016, महामारी रोग अधिनियम 1897 के प्रावधानों और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के प्रावधानों के अलावा अन्य संबंधित कानूनों के खिलाफ है. जी दरअसल तेलंगाना के महाधिवक्ता ने अदालत को हाल ही में कहा कि राज्य सरकार ने भवन विध्वंस के लिए ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम से आवश्यक अनुमति अपने नाम कर ली है. इस मामले में अब अदालत ने बीते बुधवार को रोक को आगे बढ़ा दी है.
उन्होंने केंद्र को सचिवालय परिसर के विध्वंस के संबंध में पर्यावरणीय मुद्दों पर अपने रुख पर जवाब देने का निर्देश तक दे दिया है. के चंद्रशेखर राव की अगुवाई वाली सरकार ने सात जुलाई को सचिवालय भवन परिसर गिराने का काम शुरू कर दिया था. वहीं उसके बाद उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के मौजूदा सचिवालय को गिराकर एक नया सचिवालय परिसर का निर्माण करने के बारे में कहा था. यह सब होने के बाद नए परिसर के निर्माण के फैसले को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं को खारिज किया गया था.
तेलंगाना में बीते 24 घंटे में मिले 1597 नए कोरोना संक्रमित मरीज
तेलंगाना में हुआ सड़क हादसा, 4 लोग हुए मौत का शिकार
आदिवासियों के लिए मसीहा बना यह लड़का, जंगलो के बीच बना डाला स्कूल