जिस प्रकार ज्योतिष शास्त्र में व्यक्ति की रेखाओं, पर्वतों, उंगलिओं का महत्वपूर्ण स्थान होता है उसी प्रकार व्यक्ति का अंगूठा भी अहम् भूमिका निभाता है यह व्यक्ति के व्यक्तित्व के सभी राज खोल देता है. आइए जानते है आपका अंगूठा क्या कहता है. जिस प्रकार हमारी उंगली में तीन पोर होते है उसी प्रकार अंगूठे में भी तीन पोर होते है जो व्यक्ति की अलग-अलग विशेषता को दर्शाते है.
अंगूठे का प्रथम पोर
अंगूठे के सबसे ऊपरी भाग को प्रथम पोर कहते है जिस व्यक्ति के अंगूठे का प्रथम पोर अधिक लंबा होता है तो उस व्यक्ति की इच्छा शक्ति बहुत ही प्रबल होती है और उसे अपने किसी भी निर्णय लेते समय किसी अन्य की सलाह या सुझाव की आवश्यकता नहीं होती. इन व्यक्तियों को आजादी से कार्य करना पसंद होता है इसी के कारण यह किसी के अधीन होकर कार्य करना पसंद नहीं करते है. इन व्यक्तियों का व्यक्तित्व बहुत ही आकर्षक होता है जिसकी वजह से सभी इनकी तरफ प्रभावित होते है. धार्मिक द्रष्टि से यह बहुत ही आस्थावान होते है.
द्वितीय पोर
अंगूठे का द्वितीय पोर उसकी तर्क शक्ति का सूचक होता है जिस व्यक्ति के अंगूठे का द्वितीय पोर उसके प्रथम पोर से लंबा या बड़ा होता है तो उस व्यक्ति की तर्कशक्ति बहुत ही प्रबल होती है. यह व्यक्ति अपनी गलत बात को भी सही साबित करने के लिए तर्क करता है जिसके कारण सभी इनके इस स्वभाव की वजह से नाराज होते है.
तृतीय पोर
इस स्थान को शुक्र पर्वत भी कहा जाता है यदि व्यक्ति के अंगूठे का तृतीय पोर अधिक विस्तृत और चौड़ा होता है और उसका यह भाग अधिक ऊंचा गुलाबी रंग का होता है तो वह व्यक्ति प्रेम सम्बन्ध में बहुत आगे होता है इन व्यक्तियों के बहुत से मित्र होते है. यह व्यक्ति विपरीत परिस्थिति में भी द्रढ़ता से खड़े होकर उसका सामना करते है.
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